लगता है सुलझाने में ही बीतेगी तमाम उम्र
उलझी है जिंदगी किसी सवालात की तरह,
ज़ाहिर करता है ऐसे पहचानता नहीं मुझे
मिलता है हर बार पहली मुलाक़ात की तरह,
बदले-बदले से उसके तेवर नज़र आते हैं,
वो भी बदल रहा है जैसे हालात की तरह,
कर सके तो कर वफ़ा मेरी वफ़ा की बदले
नहीं चाहिए मुहब्बत मुझे खैरात की तरह
क्यूँ दौर-ए-गर्दिश से घबरा न जाये दिल
गम बढ़े आते है किसी बारात की तरह,
© इमरान अंसारी
गम कहीं बाहर से नहीं आते...हम ही उन्हें छिपाए रहते हैं भीतर...बाहर तो बस निमित्त होते हैं...
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन जानकारी है कुछ hindi quotes भी पढ़े
जवाब देंहटाएंहूँ ... हर रात की सुबह जरूर होती है . इन्तजार में ...
जवाब देंहटाएंवाह क्या रचना है ।Seetamni. blogspot. in
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लेख हैं.. AchhiBaatein.com
जवाब देंहटाएंक्या बात है !.....बेहद खूबसूरत रचना....
जवाब देंहटाएंआप को दीपावली की बहुत बहुत शुभकामनाएं...
नयी पोस्ट@आओ देखें मुहब्बत का सपना(एक प्यार भरा नगमा)
नयी पोस्ट@धीरे-धीरे से
अंसारी जी, बहुत ही खूबसूरत रचना। मई से आपकी ब्लाग पर कोई नई पोस्ट अपडेट नहीं हुई है। अपडेट पोस्ट डालते रहिए। अब तो हिंदी ब्लागिंग में काफी संभावनाएं हैं। ऐसे समय में कदम पीछे खींचना समझदारी नहीं है। कोई तकनीकी दिक्कत हो तो उसका निदान भी है।
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