एक दरिया है ये जज़्बातों का जिसमे लफ़्ज़ों की किश्तियाँ तैरती हैं........... जज़्बात मेरे.....तुम्हारे और हम सबके......एक ज़रिया जिससे जज़्बातों का ये सैलाब एक दिल से दूसरे दिल की दहलीज़ तक पहुँच जाए......लफ़्ज़ों की किश्ती पर सवार ......आओ डूब जाएँ जज़्बात के इस दरिया में.......
सितंबर 26, 2016
सावन
पल-पल बदलता है जीवन मौसम हो जैसे
धूप ही धूप है बस, छाँव कुछ ही अरसा है
बहार फ़क़त तेरी आँखों का इक धोखा है
ये वो सावन है जो मेरी आँखों से बरसा है,
जय मां हाटेशवरी... अनेक रचनाएं पढ़ी... पर आप की रचना पसंद आयी... हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें... इस लिये आप की रचना... दिनांक 27/09/2016 को पांच लिंकों का आनंद पर लिंक की गयी है... इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।
जय मां हाटेशवरी...
जवाब देंहटाएंअनेक रचनाएं पढ़ी...
पर आप की रचना पसंद आयी...
हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
इस लिये आप की रचना...
दिनांक 27/09/2016 को
पांच लिंकों का आनंद
पर लिंक की गयी है...
इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।
जज्बातों की बारिश.... सुन्दर .....
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएंवाह ! उसी सावन को अब दरिया बना दो ।
जवाब देंहटाएंवाह
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