कच्चे रेशम के धागे जैसा
वो नाज़ुक सा इश्क़........
जो हम दोनों के दरमियाँ
आहिस्ते आहिस्ते पला था,
उसमें अपने मुस्तकबिल को
जवान होते देखा था मैंने,
रूह की पाकीज़गी से इश्क़
के बदन को सींचा था मैंने,
वो नाज़ुक परिंदे जैसा इश्क़
जिसकी रगों में मेरी वफ़ा का खून था
फुसला के ले गई एक रात वो उसे
झूठ की तलवार से उसका क़त्ल किया,
और उसकी बेवफाई के गिद्धों ने
इश्क़ के बदन को नोच-नोच के खाया,
इश्क़ की मासूम लाश को
कन्धों पर लाद कर लाया मैं
उसके ज़ख्मों के निशां
आज भी मेरे कन्धों पर हैं,
और इश्क़ की वो मासूम लाश
आज भी मेरे ज़ेहन में दफन है,
कच्चे रेशम के धागे जैसा
वो नाज़ुक सा इश्क.......
ऐसी रचना रचने के इतना दर्द कैसे सहते हैं ....
जवाब देंहटाएंख़ुदा आप पर हमेशा मेहरबान रहे ....
@विभा दी.......इश्क़ करोगे तो दर्द मिलेगा..........
हटाएंआमीन........आप भी खुश रहे।
प्यार का इतना दुखद अंत उफ्फ्फ्फ्फ़
जवाब देंहटाएंशुक्रिया अंजू जी.......अक्सर ऐसा ही होता है ।
हटाएंवो नाज़ुक परन्दे जैसा इश्क़.... वाली पंक्तियों से सहमत हूँ लेकिन फिर भी एक बात कहना चाहूंगी कि इश्क़ उस खुदा कि वो इबादत है जो बुरी तरह घायाल तो हो सकता है, मगर कभी मर नहीं सकता,मिट नहीं सकता। क्यूंकि सच्चे इश्क़ ज्यादोन के लिए तो
जवाब देंहटाएंप्यार आत्मा की परछाई है
इश्क़ ईश्वर की इबादत
और
मूहोब्बत ज़िंदगी का मक़सद होता है ना...
शुक्रिया पल्लवी जी.......हाँ इश्क़ इबादत है जिसमे महबूब में खुदा दिखता है पर जब आपको ये पता चलता है की जिसे आप खुदा माने बैठे थे वो सिवाय एक बुत के कुछ भी नहीं..........तो दर्द ही दर्द है इसमें ।
हटाएंfirst 2 lines of the last stanza are a killer ....
जवाब देंहटाएंThanks for coming, comment & joining of my blog.
हटाएंदर्द से लबालब रचना...
जवाब देंहटाएंदो बूंद ही काफी है
दर्द छलकाने को
एक मैं छलका दूँ
एक तुम बरसा दो....
बहुत बहुत शुक्रिया संध्या जी।
हटाएंआपका इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (15-12-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
जवाब देंहटाएंसूचनार्थ!
बहुत बहुत शुक्रिया वंदना जी.......चर्चामंच में शामिल करने के लिए।
हटाएंbehtreen....
जवाब देंहटाएंशुक्रिया।
हटाएंकच्चे रेशम के धागे जैसा
जवाब देंहटाएंवो नाज़ुक सा इश्क.......बहुत बढिया सृजन,,,,
recent post हमको रखवालो ने लूटा
शुक्रिया धीरेन्द्र जी ।
हटाएंishq ki nazakat ko bakhoobhi pesh kiya hai aapne!
जवाब देंहटाएंशुक्रिया पारुल जी ।
हटाएंइश्क कोई सा भी हो एक बार ग़मज़दा हो गए तो फिर तारीकियों से निकल पाना बड़ा मुश्किल होता है.
जवाब देंहटाएंशुक्रिया निहार जी.....सही कहा आपने ।
हटाएंमर्मस्पर्शी रचना।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया मनोज जी ।
हटाएंबहुत ही दर्दनाक अंत हुआ है इश्क का...
जवाब देंहटाएंसंवेदनशील भाव लिए रचना..
शुक्रिया रीना ।
हटाएंइश्क मासूम है .....बुत में भी खुदा को पा लेता है ...../ इश्क सदीवी रहता है ...अंत नही होता उसका ....../// दर्द से लबरेज रचना
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया अंजू।
हटाएंइश्क़ की मासूम लाश..कन्धों पे ज़ख्म के निशां...उफ्फ..रचना के भाव गहराई तक छू गए...क्या यही अंजाम होता है मासूम इश्क़ का?...बहुत मार्मिक प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंहाँ अक्सर तो ऐसा ही होता है कैलाश जी .........शुक्रिया आपका ।
हटाएंउफ़ .............इतना दर्द इमरान !बहुत ही मार्मिक रचना पढकर ये हाल हुआ तो जिस पर बीती होगी उसका दर्द क्या होगा ............बखूबी आपने अपनी रचना में उस दर्द को जाहिर किया है बहुत उम्दा ..............................
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया प्रतिभा जी ।
हटाएंअक्सर इश्क यूँ भी मरता है पर उसी इश्क से इश्क करके दिल कहाँ भरता है ?
जवाब देंहटाएंसही कहा अमृता जी अक्सर फिर फिर फिसलता है ये दिल...........शुक्रिया।
हटाएंप्यार के दर्द को बखुबी शब्द दिये है आपने.
जवाब देंहटाएंबहुत खुब.
शुक्रिया अमित जी ।
हटाएंह्रदय स्पर्शी भाव हैं, दर्द और प्रेम का गहरा सम्बन्ध रहा है !!!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया।
हटाएंufffffffffff...bas kar pagle rulayega kaya.....aret rula hi diya..ati sunder
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया पूनम जी।
हटाएंनाजुक से इश्क का दर्दभर अंत.... बेहद भावपूर्ण रचना !
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया शालिनी जी।
हटाएंइस रचना से रिसता दर्द ...दिल तक उतर गया ...बहुत खूब इमरान जी
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया सरस जी।
हटाएंइश्क की मौत..यह तो ऐसा ही हुआ जैसे कोई कहे प्रकाश सा अँधेरा..जो अमर है वही तो प्रेम है..बाकी सब दिल का ख्याल है..
जवाब देंहटाएंशुक्रिया अनीता जी..........वाकई जज़्बात तो सारे ही ख्याल हैं हमारे :-)
हटाएंbahut shandar..
जवाब देंहटाएंdil ko chhu gyi..apki kalam.
बहुत शुक्रिया सुनील जी ।
हटाएंवाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति .
जवाब देंहटाएंशुक्रिया मदन जी ।
हटाएंप्यार तो ऐसा है , कच्चे धागे का पक्का रिश्ता !!
जवाब देंहटाएंबस निभाना है भले एक तरफ़ा हो तो क्या
जीने की वजह बनाना है
खुश रहिये
टीना !!
बहुत बहुत शुक्रिया टीना |
हटाएं