'कुन फाया कुन' कुरान शरीफ की एक आयत 'यासीन शरीफ' से लिया गया है जिसका मतलब है जब दुनिया में कुछ नहीं था तो खुदा ने दुनिया से कहा हो जा और वो हो गयी यानि जब कुछ नहीं था तब भी खुदा था और जब कुछ नहीं होगा तब भी खुदा होगा........या मौला हमे नेकी की राह पर चलने की तौफिक दे.......आमीन|
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कदम बढ़ा ले हदों को मिटा ले
आजा खाली पल में पी (पिया) का घर तेरा
तेरे बिन खाली आ जा खालीपन में
कुन फाया कुन फाया कुन
जब कहीं पे भी नहीं था
वही था, वही था
वो जो मुझमें समाया
वो जो तुझमें समाया
मौला वही-वही माया
रंगरेज़ा रंग मेरा तन मेरा मन
ले ले रंगाई चाहे तन चाहे मन
सजरा सवेरा मेरे तन बरसे
कजरा अँधेरा तेरी जलती लौ
कतरा मिला जो तेरे दर बरसे
मुझपे करम सरकार तेरा अरज तुझे
कर दे मुझे मुझसे ही रिहा
अब मुझको भी हो दीदार मेरा
कर दे मुझे मुझसे ही रिहा
मन के मेरे ये भरम
कच्चे मेरे ये करम
लेके चले हैं कहाँ
मैं तो जानूँ ही ना
तू है मुझमें समाया
कहाँ लेके मुझे आया
मैं हूँ तुझमें समाया
तेरे पीछे चला आया
तेरा ही मैं एक साया
तूने मुझको बनाया
मैं तो जग को न भाया
तूने गले से लगाया
हक तू ही है खुदाया
सच तू ही है खुदाया
कुन फाया कुन फाया कुन