प्रिय ब्लॉगर साथियों,
आज की पोस्ट एक सत्य घटना पर आधारित है, जो मेरे आस पास के समाज में घटित हुई थी अभी कुछ दिन पहले की ही बात है एक किशोरी ने खुद को जलाकर आत्महत्या कर ली | मैं उसे उसके बचपन से जानता था.......पहले तो काफी वक़्त मैं यकीन ही नहीं कर पाया| पर सच को स्वीकार करना ही पड़ता है .......खैर आपसे बांटना चाहता था पर समझ नहीं आता था कि इसको शब्द कैसे दूँ..... पहले सोचा कि गद्य रूप में लिखूँ पर बाद में लगा शायद इस रूप में ज्यादा बेहतर हो.......आपकी राय की प्रतीक्षा रहेगी कि मैं अपने प्रयास में कहाँ तक सफल रहा ?.......कोई सुझाव हो या कोई गलती लगे तो निसंकोच कहें|
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क्या उम्र रही होगी उस किशोरी की
शायद यही कोई सोलह या सत्रह बरस
अभी तो जिंदगी की दहलीज़ पर
जैसे उसके क़दम बस पड़े ही थे,
ज़ेहन में ये सवाल बार-बार उठता है
की आखिर क्यूँ ? उसने इतना बड़ा फैसला किया
आखिर क्या वजह रही होगी इसकी?
जो उसने 'आत्मदाह' जैसा क़दम उठा लिया,
अभी कल ही की तो बात लगती है
कितने बरस हुए होंगे?
यही कोई शायद पाँच या छः बरस
जब पहली बार मैंने उसे देखा था,
बात-बेबात पर हँसने वाली
अपनी बहन की चोटी खींचने वाली
छोटे भाइयों से लड़ने वाली
मासूम सी एक बच्ची ही तो थी वो,
आखिर क्या वजह थी 'आत्मदाह' की
शायद घर में होती हर वक़्त की कलह
रोज़ पीकर आता शराबी बाप
या बात-बात पर ताने मारती माँ,
अन्दर ही अन्दर घुटती उसकी आकांक्षाये
या सिर्फ देहरी पर खड़े हो जाने से
अपने हमउम्र किसी से हँस-बोल लेने से
चरित्र पर ऊँगली उठाता ये तथाकथित समाज,
कितना अकेला पाया होगा उसने खुद को
अपने ही परिवार में कोई साथी नहीं
जबसे बहन की शादी हुई, कोई भी तो नहीं
जिससे वो अपने मन की व्यथा कह पाती
आज भी न जाने क्यूँ यकीन नहीं आता
की आखिर उसने 'आत्मदाह' क्यूँ किया?
जब कभी सोचता हूँ उसके बारे में
तो एक हँसता मुस्कुराता चेहरा
आँखों के आगे घूम जाता है,
कितना वीभत्स हो गया था वही चेहरा
ऐसा कि दृश्य भी सर झुका ले
दफ़न के वक़्त आखिरी बार देखने कि रस्म
पर लोगों में हिम्मत नहीं थी शायद देखने की,
पर सुना है उसके जाने के बाद
अब उसके बाप ने शराब छोड़ दी है,
और सुधर गयी अब माँ भी
ढूँढ रहा है समाज अब नया शिकार,
वो 'आत्मदाह' था या 'बलि'
यही सवाल गूँज उठता है
आखिर कौन था दोषी ?
उसके 'आत्मदाह' के पीछे
क्या उम्र रही होगी उस किशोरी की
शायद यही कोई सोलह या सत्रह बरस
अभी तो जिंदगी की दहलीज़ पर
जैसे उसके क़दम बस पड़े ही थे,
...मार्मिक।
जवाब देंहटाएंअंदर तक हिला दिया आपकी इस पोस्ट ने।
जवाब देंहटाएंसादर
कल 07/12/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
मार्मिक ! ऐसी घटनाएँ मन को झकझोर देती हैं !
जवाब देंहटाएंऐसी दर्दनाक घटनाएं भी हमारा ही सच है. अब माँ-बाप संभल भी जाए तो ऐसी कीमत पर . लानत है ऐसी बातों पर . उसे भी हिम्मत से लड़ना चाहिए था. पर अब क्या कहा जा सकता है..आपने ह्रदय को चीड़ कर रख दिया..
जवाब देंहटाएंनहीं होने चाहिये लेकिन हमारे तथाकथित सभ्य समाज में ऐसी दुरघटनाएं होती ही हैं जो हमें अपनी सभ्यता पर पुनर्विचार करने को बाध्य करती हैं....
जवाब देंहटाएंमार्मिक रचना...
सादर...
बेहद उम्दा पोस्ट. सजीव चित्रण.
जवाब देंहटाएंवो आत्मदाह था या बलि..... ? आपने यहाँ तक सोच तभी तो ये पंक्तियाँ जन्मीं ..... मार्मिक ...
जवाब देंहटाएंbahut hi marmik rachana hai...
जवाब देंहटाएंगहरे उतरते शब्द इस अभिव्यक्ति के ।
जवाब देंहटाएंबहुत दुखद घटना का सामना आपको करना पड़ा...काश उसका यह बलिदान काम आये और उसका परिवार नेक रास्ते पर चले, परिवार ही नहीं समाज भी इस घटना से सीख ले और शराब जैसी बुराईयों को मिटने पर मजबूर होना पड़े.
जवाब देंहटाएंकुछ अधूरे सवाल अधूरे ही रह जाते हैं जवाब के इंतज़ार मे………मार्मिक चित्रण्।
जवाब देंहटाएंआखिर क्यों...?????इमरान जी, ये आखिर क्यों ?तो ऐसा है जो आज भी हर तरफ फैला है ...लेकिन इसका कभी जवाब नही मिलता ,वक्त समझौता करता है ,फिर कोई न्य ? ताक में रहता है....तथाकथित समाज हम लोगो का ही तो है ,......शिकार, बलि और सुधार..तीनो स्थितियों को बखूबी ब्यान किया है....ऐसी रचनाये सवाल छोड़ जाती है .....अच्छा बुरा कैसे कहूँ ......bs khuda us rooh ko apni pnaah de,aur sukoon bhi ....
जवाब देंहटाएंमार्मिक घटना....!
जवाब देंहटाएंसमाज,परिवार और अपने लोग भी किसी को इस हद तक मजबूर कर सकते हैं कि इतना बड़ा कदम उठाने के लिए
उसे जरा भी संकोच भी न हुआ...!!
मेल के द्वारा प्राप्त टिप्पणी -
जवाब देंहटाएंगहरे उतरते शब्द इस अभिव्यक्ति के ।
- सदा
आप सभी लोगों का तहेदिल से शुक्रिया.........जो मैं कहना चाहता था वो आप लोगों तक पहुँचा और आप लोगों ने सराहा......हमारी मेहनत सफल हुई|
जवाब देंहटाएंमार्मिक घटना ... शायद बलि नहीं बलिदान था
जवाब देंहटाएंअति मार्मिक...दुर्भाग्यपूर्ण....
जवाब देंहटाएंपर कौन दे उत्तर...???
संवेदनाओं को झकझोरती इस मर्मस्पर्शी रचना के लिए आभार...
बहुत मार्मिक ....अंत
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