सितंबर 26, 2016

सावन


पल-पल बदलता है जीवन मौसम हो जैसे
धूप ही धूप है बस, छाँव कुछ ही अरसा है
बहार फ़क़त तेरी आँखों का इक धोखा है
ये वो सावन है जो मेरी आँखों से बरसा है,

© इमरान अंसारी

5 टिप्‍पणियां:

  1. जय मां हाटेशवरी...
    अनेक रचनाएं पढ़ी...
    पर आप की रचना पसंद आयी...
    हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
    इस लिये आप की रचना...
    दिनांक 27/09/2016 को
    पांच लिंकों का आनंद
    पर लिंक की गयी है...
    इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।

    जवाब देंहटाएं
  2. जज्बातों की बारिश.... सुन्दर .....

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह ! उसी सावन को अब दरिया बना दो ।

    जवाब देंहटाएं

जो दे उसका भी भला....जो न दे उसका भी भला...