जून 07, 2013

आवाजें

जिंदा रहना है यहाँ अगर 
तो चुप ही रहना सीखो........

कोई नहीं सुनता है 
गरीबों की सदा यहाँ 
यहाँ सुनी जाती है सिर्फ
सिक्को की आवाजें,  

रह जाती हैं अपनी जगह
खड़ी हुई ईमानदारी 
आगे बढ़ जाती हैं यहाँ 
खुशामद से भरी आवाजें, 

नाले में मिलती लाशें
गले के साथ ही साथ 
काट दी जाती हैं यहाँ 
बगावत से भरी आवाजें,

गला फाड़-फाड़ कर 
चिल्लाता है यहाँ झूठ 
और दबा दी जाती हैं 
सच से भरी आवाजें, 

कानून हो मुल्क का या 
फिर भरी हुई अदालत 
फरियादों को रौंद देती हैं
यहाँ रौब से भरी आवाजें,

जिंदा रहना है यहाँ अगर 
तो चुप ही रहना सीखो........

24 टिप्‍पणियां:

  1. आपको यह बताते हुए हर्ष हो रहा है के आपकी यह विशेष रचना को आदर प्रदान करने हेतु हमने इसे आज (शुक्रवार, ७ जून, २०१३) के ब्लॉग बुलेटिन - घुंघरू पर स्थान दिया है | बहुत बहुत बधाई |

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  2. लेकिन ऐसे जिन्दा रहना तो मरने से भी बदतर होगा...

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    1. सही कहा अनीता जी......पर मुल्क में अब आधी से ज्यादा आबादी ऐसे ही जी रही है ।

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  3. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार(8-6-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
    सूचनार्थ!

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया वंदना जी जज़्बात की पोस्ट को जगह देने का ।

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  4. आपकी यह रचना कल शुक्रवार (08-06-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया अरुण जी जज़्बात की पोस्ट को जगह देने का ।

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  5. दुनिया के नक्कारखानें में तूती की आवाज़ कौन सुनता है !

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  6. बहुत सुन्दर इमरान भाई. जो लोग कमजोर है अपने यहाँ, उन्हें आपके रचना के सन्देश से बार-बार अवगत कराया जाता है.

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  7. एक बड़ा नक्कारखाना है ये दुनिया -यहाँ तूती की आवाज़ कौन सुनता है !

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  8. वाह ...बहुत सुन्दर रचना ....फुर्सत के पल मेरे यहाँ भी पधारे

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  9. पर यही चुप्पी जब टूटती है तो क़यामत भी ले आती है..

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  10. सच में बहुत दुखद स्तिथि है...बहरों के बीच चुप रहना शायद उचित है आज के हालात में जीने के लिए..

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  11. ये चुप्‍पी तो सब खत्‍म कर देगी...बोलना जरूरी है

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  12. बेनामीजून 10, 2013

    wah imranji mujuda haal ko bakhubi byan kiya hein..
    magar awaz uthana bhi nhi choda krte...!!!

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  13. बहुत बड़े सच को सहज ही कह दिया है आपने इस नज़म में ...
    हालांकि बहुत मुश्किल है ऐसा कर पाना ...

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  14. आप सभी लोगों का तहेदिल से शुक्रिया ।

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  15. मज़बूत कलम के लिए बधाई !

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  16. पिछले दिनों नेट की गडबडी की वजह से कई जगह कमेन्ट नहीं कर पाई ....आज एक साथ आपकी साडी रचनाएँ पढ़ रही हूँ ....
    आजकल का कच्चा चिठ्ठा है ये ....बहुत अच्छी रचना ....!!

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  17. लाख सवालों का एक जवाब ....चुप्पी ....जो समझने वाले के लिए इशारे का काम करती है

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जो दे उसका भी भला....जो न दे उसका भी भला...