अप्रैल 04, 2014

मीठा सा इश्क

दोस्तों,

सबसे पहले तो आप सबसे माफ़ी चाहूँगा । पिछले दिनों अति व्यस्तता के चलते स्वयं अपने और आप सभी के ब्लॉग तक आना नहीं हो पाया | सोशल मीडिया कि तस्वीर पिछले कुछ समय से काफी बदल गई है फेसबुक जैसे त्वरित प्रतिक्रिया वाले प्लेटफार्म पर आवाजाही बढ़ी है तो ब्लॉगजगत में कमी आई है । पर इन सबके बावजूद ब्लॉग का अपना नशा है...... जो ठहराव और इत्मीनान से पोस्ट पढ़ कर ईमानदाराना टिप्पणियों से होकर लेखक और पाठक को जोड़ता है । हरसंभव प्रयास रहेगा कि जल्द ही समय निकल कर आप सबके ब्लॉग तक पहुँच सकूँ और कुछ बेहतर और नवीन पढ़ने को मिल सके । आज ये एक छोटी सी नज़्म पेश है आप सबके लिए :-


तेरे तसव्वुर में डूबी
ख़ुमार से भरी आँखे 
कुछ ख्वाब बुनती हैं, 

जिनकी तासीर लबों पर 
चाशनी सी उतरती है,

क़तरा-क़तरा रूह तक 
मीठा सा इश्क बहता है,
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इसके आलावा  'जनसेवा मेल, झाँसी' में पहली बार मेरी कृति को शामिल किया गया है । जिसके लिए दिल से शुक्रिया । अपने लिखे को प्रकाशित हुए देखने की ख़ुशी अलग ही होती है और वो भी पहली बार तो दोस्तों आप सब भी शरीक हो ।


11 टिप्‍पणियां:

  1. तुम्हारा लिखा बहुत उम्दा होता है ..... सभी बातों के लिए बहुत बहुत बधाई ....
    खुदा की नेमत तुम पर हमेशा बनी रहे
    हार्दिक शुभकामनायें

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  2. कतरा कतरा रूह तक बहता मीठा इश्क़ ....
    बहुत खूब !
    रचना प्रकाशन की बहुत बधाई !

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  3. हमारे ब्लॉग की पोस्ट को यहाँ शामिल करने का बहुत बहुत शुक्रिया |

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  4. भई! हमें तो रश्क हो रहा है आपसे इसलिए कुछ नहीं कहेगे..

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  5. खूबसूरत नज़्म ... रूह तक हर कतरा पहुँचता है मीठे इश्क का ...
    गाल के प्रकाशा पर ढेरों बधाई ...

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  6. वाह... बहुत उम्दा...बहुत बहुत बधाई...
    ब्लॉग की जगह फेसबुक कभी नहीं ले सकता.....पुनः आने पर स्वागत...
    नयी पोस्ट@भूली हुई यादों

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जो दे उसका भी भला....जो न दे उसका भी भला...