आईना पूछता हैं मुझसे ये सवाल
क्यूँ है तेरे चेहरे का ये बुरा हाल,
सर्दी में भी ये बदन जलता है,
रंग जहाँ का देख के बदलता है,
जो नज़र नहीं आता किसी सू
मेरे अन्दर ये कौन चलता है,
बदगुमानी बदसलूकी करती है
लाचारी साफ-साफ झलकती है,
चश्मदीदे गवाही को गलत जानिये
आईना झूठा है, न इसे सच मानिए,
जो हासिल है उसमे ही जीया कीजिये
शराबे - ए - जिंदगी को पीया कीजिये,