आईना पूछता हैं मुझसे ये सवाल
क्यूँ है तेरे चेहरे का ये बुरा हाल,
सर्दी में भी ये बदन जलता है,
रंग जहाँ का देख के बदलता है,
जो नज़र नहीं आता किसी सू
मेरे अन्दर ये कौन चलता है,
बदगुमानी बदसलूकी करती है
लाचारी साफ-साफ झलकती है,
चश्मदीदे गवाही को गलत जानिये
आईना झूठा है, न इसे सच मानिए,
जो हासिल है उसमे ही जीया कीजिये
शराबे - ए - जिंदगी को पीया कीजिये,
बदगुमानी बदसलूकी करती है
जवाब देंहटाएंलाचारी साफ-साफ झलकती है,
चश्मदीदे गवाही को गलत जानिये
आईना झूठा है, न इसे सच मानिए,
जो हासिल है उसमे ही जीया कीजिये
शराबे - ए - जिंदगी को पीया कीजिये,
wah kya baat hai......
bahut badiya.....
कुछ सवालों के जवाब नही मिला करते……………बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंकहना मुश्किल है कि कौन सा शेर उम्दा है...?
जवाब देंहटाएंसब एक से बढ़ कर एक हैं सब !
हर शेर का एहसास कुछ अलग सा बयां करता है !!
"जो हासिल है उसमें ही जिया कीजिये
शराब-ए-जिन्दगी को पिया कीजिये !!"
कहाँ ऐसा हो पता है जिंदगी में ..
लोगों की नज़र हमेशा
दूसरे के गिलास पर ही लगी रहती हैं !
ज़िंदगी हमें क्या-क्या रंग दिखाती है..
लेकिन रंगीनी हमें दूसरे की
तस्वीर में ही नज़र आती है..!!
अपनी बदरंग तस्वीर हम छुपाते हैं
और दूसरों की तस्वीर से खरोंच के
रंग हम निकालते हैं...!!
अपने अगल-बगल देखिएगा तो बहुतेरे
लोग मिल जायेंगे इस तरह के..!!
अंसारी साहिब ,बहुत खूब.
जवाब देंहटाएंआईना भी सच बोलता है जनाब,
ज़रा दिल की नज़र से देखिये तो.
सलाम.
Imran bhai namaskar,
जवाब देंहटाएंteesra sher bahut achha laga.
Bahut khoobsurat or sachai se bhari rachna hai........I liked it very much :) :)
जवाब देंहटाएंआप सभी लोगों का तहेदिल से शुक्रिया यहाँ तक आने का और पोस्ट को पसंद करने का |
जवाब देंहटाएंअंसारी साहब , चश्मदीदे-गवाही को बिलकुल सच मानिये . आप बेहतरीन गजल पढ़ाते हैं यकीं मानिए ...शुक्रिया
जवाब देंहटाएंबेहतरीन गजल ! आईना एक है, सवाल भी एक है तो 'हैं' की जगह 'है' कर लीजिए.
जवाब देंहटाएंजो नजर नहीं आता किसी सू
जवाब देंहटाएंमेरे अंदर ये कौन चलता है
बहुत सुंदर शेर....
जो हासिल है उसे पीया कीजिए
जवाब देंहटाएंशराब-ए-ज़िंदगी को जीया कीजिए
..वाह!