सितंबर 29, 2016

ज़िल्लत



खर्च करते हैं जो अपना माल ख़ुदा की राह में
उनको ज़िन्दगी में कभी किल्लत नहीं होती,
और करते हैं जो अपने बुज़ुर्गों की इज़्ज़त
इस जहाँ में कभी उनकी ज़िल्लत नहीं होती,

©इमरान अंसारी
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*किल्लत - कमी, *ज़िल्लत -बेइज़्ज़ती

सितंबर 26, 2016

सावन


पल-पल बदलता है जीवन मौसम हो जैसे
धूप ही धूप है बस, छाँव कुछ ही अरसा है
बहार फ़क़त तेरी आँखों का इक धोखा है
ये वो सावन है जो मेरी आँखों से बरसा है,

© इमरान अंसारी