जबसे देखी है झलक मैंने तेरी
बन गया हूँ तब से मैं तेरा जोगी,
तेरे रहम का हूँ तलबगार कबसे
बख्श देगा तो रहमत तेरी होगी,
पा लूँगा जब खुद में तेरा वजूद
हाथों में तब क़ायनात सारी होगी
लगा है जबसे ये इश्क़ वाला रोग
बीमार हूँ तेरा, दुनिया कहे रोगी,
कैसे झेलूँगा तेरे जलवों की ताब
जब तुझसे मुलाक़ात मेरी होगी,
झुका दी है अब तेरे क़दमों में ख़ुदी
कभी तो बारिश तेरे नूर की होगी,
नहीं भटकोगे तुम कभी रास्ता
साथ तुम्हारे उसकी रहनुमाई होगी,