जबसे देखी है झलक मैंने तेरी
बन गया हूँ तब से मैं तेरा जोगी,
तेरे रहम का हूँ तलबगार कबसे
बख्श देगा तो रहमत तेरी होगी,
पा लूँगा जब खुद में तेरा वजूद
हाथों में तब क़ायनात सारी होगी
लगा है जबसे ये इश्क़ वाला रोग
बीमार हूँ तेरा, दुनिया कहे रोगी,
कैसे झेलूँगा तेरे जलवों की ताब
जब तुझसे मुलाक़ात मेरी होगी,
झुका दी है अब तेरे क़दमों में ख़ुदी
कभी तो बारिश तेरे नूर की होगी,
नहीं भटकोगे तुम कभी रास्ता
साथ तुम्हारे उसकी रहनुमाई होगी,
क्या बात ...... शुभकामनाएं !!!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आपका निवेदिता जी।
हटाएंपा लूँगा जब खुद में तेरा वजूद
जवाब देंहटाएंहाथों में तब कायनात सारी होगी !
वाह,बहुत सुन्दर !
बहुत बहुत शुक्रिया ज्ञानचंद जी।
हटाएंबहुत सुंदर ...
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया अनुपमा जी।
हटाएंसाथ उसकी रहनुमाई...फिर कैसा डर ! बहुत ही बढ़िया
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया रश्मि जी।
हटाएंaccha likha
जवाब देंहटाएंशुक्रिया सुधा जी।
हटाएंआपकी यह बेहतरीन रचना शनिवार 29/09/2012 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया यशोदा जी हलचल पर हमारी पोस्ट शामिल करने के लिए ।
हटाएंखुदी को खोकर ही खुदा मिलता है..उम्दा..
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया अमृता जी ।
हटाएंखुदी को बुलंद करना, झुकाना भी है।
जवाब देंहटाएंक्या करूँ? मुझे तेरा नूर पाना भी है।
वाह .....शुक्रिया देव बाबू।
हटाएंतेरे रहम का हूँ तलबगार कबसे
जवाब देंहटाएंबख्श देगा तो रहमत तेरी होगी,,,,,
ऐसा ही होता है इश्क के रोगी को
जोगी बनना ही पडता है ,,,,,,,कमाल की रचना,,,
RECENT POST : गीत,
आपका शुक्रिया धीरेन्द्र जी ।
हटाएंबहुत ही दिलकश...
जवाब देंहटाएं"पा लूँगा जब खुद में तेरा वजूद,हाथों में तब कायनात सारी होगी "
उम्दा भाव...|
शुक्रिया मंटू भाई ।
हटाएंBahut Umda....
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रिया मोनिका जी ।
हटाएंअध्यात्म की राह का जोगी , नहीं भटकेगा गर उसकी रहनुमाई होगी !
जवाब देंहटाएंबढ़िया !
शुक्रिया वाणी जी ।
हटाएंआज तो मेरे मन के भावों को आकार दे दिया।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया वंदना जी।
हटाएंलाज़वाब! सदैव की तरह एक उत्कृष्ट गज़ल...
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया कैलाश जी।
हटाएंखूबसूरत गज़ल
जवाब देंहटाएंवाह जी...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया रचना...
:-)
शुक्रिया रीना ।
हटाएंझुका दी है अब तेरे क़दमों में ख़ुदी
जवाब देंहटाएंकभी तो बारिश तेरे नूर की होगी,
और जिसके इश्क में आप जोगी बन रहे है वो एक दिन कहेगी
नी मैं जाना जोगी दे नाल,
जब से मैं जोगी की होई, मुझे में मैं ना बाकि रह गयी कोई :-)
http://duaari.blogspot.in
बहुत बहुत शुक्रिया आपका......हम तो खुदा के इश्क में ही जोगी बन बैठे हैं :-)
हटाएंbehad khoobsurti ke saath likha hai......
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत मृदुला जी ।
हटाएंबेहतरीन ..!!!
जवाब देंहटाएंसुंदर भाव ! एक बार उसकी राह में जो चल पड़ता है राह खुदबखुद बनती जाती है...
जवाब देंहटाएंशुक्रिया अनीता जी सच कहूँ तो आपकी टिप्पणी के बिना मेरी पोस्ट अधूरी सी लगती है :-)
हटाएंबहुत सुन्दर रचना .इमरान जी .... वास्तव में उस एक का साथ हो तो फिर किसी और की क्या ज़रूरत!
जवाब देंहटाएंशुक्रिया शालिनी जी।
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