दिसंबर 23, 2013

शक्ति



आँखों में कितने ख्वाब मचलते थे 
हसरतों के दिल में चिराग जलते थे,

झक सफ़ेद एक घोड़े पर सवार 
ख्वाबो का वो सब्ज़ शहज़ादा 
एक रोज़ कहीं दूर से आएगा 
अपने साथ मुझे भी ले जायेगा,

हाय ! कितनी नादाँ थी कितनी भोली मैं 
कच्ची उम्र में बिठा दी गयी डोली में मैं,
बैठी शर्म से सकुचाई फूलों की सेज पर
आते ही रखी थी उसने बोतल मेज पर,

लड़खड़ा रहे थे कदम मुँह से छूटता भभूका था 
खसोटा ज़ालिम ने जैसे भेड़िया कोई भूखा था,
अब तो यही स्वर्ग और यही देवता था मेरा 
यही संस्कृति थी और यही अब धर्म था मेरा,

रीती-रिवाज़ों के बंधन में जकड़ी गई 
कैसे-कैसे और कहाँ-कहाँ मैं पकड़ी गई,
जिसके लिए रखती रही करवा-चौथ
उसने सीने पर बिठा दी लाकर सौत,

मासूम बच्चों की आँखों को देखती रही 
इनका क्या दोष है बस ये सोचती रही, 
हर ज़ुल्म इसलिए चुपचाप सहती रही
दरिया में तिनके कि तरह मैं बहती रही,

पूछती रब से तूने तो जग को बनाया 
इस जग ने तो जननी को ही भुलाया,
सुन कर बात मेरी वो धीरे से मुस्काया 
बोला तूने भी तो अपनी शक्ति को भुलाया,

मत भूल तुझे भी मैंने वो सब दिया है
जिस पर इतराता ये पुरुष जिया है,
देख उठा कर शास्त्रो और पुराणो को 
मारा है शक्ति ने कितने हैवानों को,

भस्म हुए है जिस पर तूने नज़र डाली है 
सिर्फ कोमलांगी नहीं तुझमे भी काली है,
झुक जाती सबके आगे तुझमे वो भक्ति है
और दुष्टों का संहार करे तुझमे वो शक्ति है,  
     
© इमरान अंसारी    

24 टिप्‍पणियां:

  1. सही है आज के दौर में यदि हर औरत अपने अंदर की इस शक्ति को समझ जाये तो बात बन जाये ...सार्थक भाव लिए सशक्त रचना ...बहुत बढ़िया।

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  2. बहुत सुन्दर....
    सच....
    सार्थक....!

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  3. सुंदर,सार्थक भावपूर्ण पंक्तियाँ ...!
    =======================
    RECENT POST -: हम पंछी थे एक डाल के.

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  4. सशक्त रचना … नारी ही शक्ति है, सृष्टि की सृजनकर्ता है. "अबला" सदियों पुरानी सड़ी गली सोच है । और ऐसी सोच तो बदलनी ही चाहिए । सटीक अभिव्यक्ति

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  5. एक बार सही अर्थों में समानता आ जाये तो हालत बदलते भी देर नहीं लगेगी.बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति व्यथा की.

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  6. सच में नारी अपने शक्ति को भूल गयी है उसे अब अपनी शक्ति को समझना होगा और अपने पर होते हुए अन्याय का प्रतिरोध करना होगा ...... बहुत सुंदर रचना .....सुंदर अभिव्यक्ति .....

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  7. नारी की उस शक्ति को नमन..

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  8. बेहद प्रभावी ... असल शक्ति को पहचाना जरूरी है ... नारी की शक्ति ही मानव को प्रेरित करती है हर कृत्य के लिए ... नारी को जागना होगा ...
    नव वर्ष की मंगल शुभकामनायें ...

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    1. बहुत शुक्रिया दिगंबर जी आपको भी नव वर्ष कि शुभकामनायें |

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  9. इस तरह से शक्ति का आह्वान कोई नारी ह्रदय ही कर सकता है जो प्रेम से लबालब हो . इमरान , आपके ह्रदय के भावों को ये रचना सुंदरता से सम्प्रेषित कर रहा है..

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  10. शक्ति की पहचान होकर भी लोग रहते अनजान
    तो दुर्गा भरेगी हुँकार
    लेगी जान

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  11. बहुत प्रभावशाली रचना...शक्ति की पहचान जरूरी है|

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  12. बेहद प्रभावी सशक्त रचना .......

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जो दे उसका भी भला....जो न दे उसका भी भला...