प्रिय ब्लॉगर साथियों,
आज की पोस्ट कुछ अलग सी है आज आपको अपने शहर लखनऊ के इमामबाड़े की सैर पर ले चलता हूँ जहाँ कुछ अपने द्वारा लिए गए फोटो और कुछ जानकारी भी आपसे शेयर करने कि कोशिश कि है उम्मीद है आपको पसंद आये ।
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रूमी दरवाज़ा, इमामबाड़े कि छत से लिया गया फोटो |
रूमी दरवाज़ा, लखनऊ
रूमी दरवाज़ा लखनऊ के बड़े इमामबाड़े के पास बना हुआ है इसे लखनऊ का प्रवेश द्वार भी कहते है इसका निर्माण आसफउद्दौला ने सत्रहवीं शताब्दी में करवाया था....अपनी वास्तुकला में बेजोड़ है ये दरवाज़ा ।
इमामबाड़े का बहार से लिया गया फोटो |
बड़ा इमामबाड़ा, लखनऊ
ये मुस्लिम धर्म के शिया समुदाय का एक धार्मिक स्थल है जिसमे मुहर्रम के महीने में ताजिये रखे जाते है इसमें जो खास बात है वो इसमें बना वो हॉल है जिसकी लम्बाई, ऊंचाई और चौड़ाई 50*16*15 मीटर है, जो बिना किसी पिलर या दीवार के सहारे बना है और जिसमे लोहे का इस्तेमाल नहीं हुआ है, यह विश्व के सबसे बड़े हॉलों में से है | इसका निर्माण सत्रहवीं शताब्दी में तत्कालीन अवध के नवाब आसिफ-उद-दौला ने करवाया था तब लखनऊ में अकाल पड़ा था, जिससे लोगों में भुखमरी फैली हुई थी.....उस वक़्त के अवध के लोगों की खासियत थी कि वो माँग कर नहीं खाते थे चाहें भूखे ही मर जाएँ । तब आसिफुदौल्ला ने इस इमामबाड़े का निर्माण करवाना शुरू किया ताकि लोगों को काम मिले इसका निर्माण तक़रीबन 10 सालों तक चला । इसको रोज़ दिन में बनाया जाता था और रात में तोड़ दिया था ताकि लम्बे अरसे तक लोगों को रोज़गार मिलता रहे । आसिफ-उद-दौला के बारे में एक कहावत मशहूर है -
जिसको न दे मौला, उसको दे आसिफ-उद-दौला
इमामबाड़े कि छत से बाहर दरवाज़े का फोटो |
इमामबाड़े के हॉल में रखा एक ताज़िया |
इमामबाड़े के हॉल में रखा एक ताज़िया |
ताज़िया
मुहर्रम के महीने में हज़रत हुसैन के मकबरे के ताज़िए जुलूस में निकाले जाते हैं और जुलूस के अंत में लाकर इमामबाड़े में रख दिए जाते हैं जो कि अगले साल मुहर्रम के महीने तक वहीँ रहते हैं ।
भूल भुलैया का बाहरी फोटो |
भूल भुलैया, लखनऊ
भूल भुलैया भारत के प्रसिद्द स्थलों में से एक है ये लखनऊ के बड़े इमामबाड़े के ऊपर की तीन मंजिलो में बनी है जिसमे बिना दरवाज़े की लगभग 489 गैलरियां है जो देखने में बिलकुल एक समान हैं,जिनमे से कई आगे जाकर बंद हो जाती हैं और कई उनके जैसी ही दूसरी गैलरी में मिल जाती हैं, कहा जाता है की इसका इस्तेमाल दुश्मनों को भटकाने के लिए किया जाता था परन्तु ये बात तर्कसंगत नहीं लगती क्योंकि इमामबाड़ा एक धार्मिक स्थल है यहाँ दुश्मनों का कोई काम नहीं । वास्तव में इमामबाड़े के विशाल हॉल में कोई सपोर्ट नहीं है लेकिन यही गैलरियां छत के साथ सपोर्ट के रूप में प्रयोग की गयी है.....वास्तुकला का एक बेहतरीन नमूना है ये भूल भुलैया.....बिना गाइड के इसमें एक बार जाने के बाद निकलना बहुत मुश्किल है खासकर तब जब आप पहली बार इसमें जा रहे हो ।
भूल भुलैया के अन्दर मैं |
भूल भुलैया के अन्दर मेरा भांजा सचिन |
तो साथियों कैसी लगी ये सैर और ये पोस्ट......बताइयेगा ज़रूर ।
शुक्रिया....
जवाब देंहटाएंआपने तो लखनऊ की सैर करा दी
कल इण्डिन आईडल का लखनऊ में हुआ ऑडिशन देखी
और आज रूमी दरवाजा और इमामबाड़ा
शुक्रिया
शुक्रिया यशोदा जी ।
हटाएंआभार, बहुत अच्छा लगा, आपने तो पूरे लखनऊ की सैर करा दी,
जवाब देंहटाएंRECENT POST ,,,,,पर याद छोड़ जायेगें,,,,,
शुक्रिया धीरेन्द्र जी ।
हटाएंलखनऊ की यह सैर बहुत ही अच्छी लगी ... आभार
जवाब देंहटाएंलखनऊ कब आए ?
जवाब देंहटाएंमिले भी नहीं :((((((
बुरा लगा ...
लेकिन पोस्ट अच्छी लगी :)
सादर
शुक्रिया यशवंत जी....लखनऊ नवम्बर २०११ में गया था और तब मैं आपको जानता भी नही था.....अब जब भी आऊँगा आपसे ज़रूर मिलूँगा ।
हटाएंमिलना तो होगा ही....कुट्टी थोड़े न करनी है :)
हटाएंज़रूर मिलेंगे यशवंत जी ।
हटाएंलखनऊ की सैर बहुत ही अच्छी लगी
जवाब देंहटाएंइतने वर्षों से लखनऊ में रह कर भी हम इन जगहों पर नहीं जा पाए थे ... आज आपने घर से ही भ्रमण करा दिया -:)
जवाब देंहटाएंशुक्रिया निवेदिता जी.....लखनऊ में रहकर भी नहीं जा पाए इसे कहते हैं घर की मुर्गी दाल बराबर :-))
हटाएंसही कह रहे हैं...3 साल होने को आ रहे हैं लखनऊ में अभी तक मैं भी नहीं घूमा हूँ :(
हटाएंये तो गलत बात है कम से कम अपना शहर तो देखना ही चाहिए.....तो इसे संडे को प्रोग्राम बना लीजिये :-)
हटाएंईमामबाड़े के बाहर से लिया गया फोतो सबसे सुंदर है ....लग ही नहीं रहा कि यहाँ का है ...!!
जवाब देंहटाएंजांकारी भि बढ़िया ...!!
सार्थक पोस्ट
शुक्रिया अनुपमा जी।
हटाएंयह हुई न बात। आपकी फोटू के साथ बोनस में भांजे को भी देख लिया।:)
जवाब देंहटाएंमुझे भी ऐसा लगता है कि हमे अपने आस पास के दृश्यों को ऐसे ही सहेजना चाहिए। जानकारी प्राप्त करनी चाहिए और सभी को बांटना चाहिए।
..बढ़िया पोस्ट।
शुक्रिया देव बाबू .....हाँ बिलकुल आपके ब्लॉग पर तस्वीरों को देख कर ही ये ख्याल आया था :-))
हटाएंआपकी तस्वीरों ने लखनऊ की यादें ताज़ा कर दीं..... बहुत सुन्दर इमारतें हैं.
जवाब देंहटाएंशुक्रिया शालिनी जी।
हटाएंyun to kai bar emambada tk jana hua hai pr etani bareeki se apki post se samajhane ki koshis ki ......abhar bhai Emtran ji
जवाब देंहटाएंशुक्रिया नवीन जी ।
हटाएंवाह ! लखनऊ के एतिहासिक स्थलों की बहुत रोचक सैर....आभार
जवाब देंहटाएंशुक्रिया कैलाश जी।
हटाएंSunder Photos, Bahut Badhiya
जवाब देंहटाएंशुक्रिया मोनिका जी।
हटाएंpehli baar mauka laga idhar aane ka..aur aate hi apne nawaabi shahar ki jabardast fotu dekhne ko mil gaye...shukriya...
जवाब देंहटाएंशुक्रिया दिलीप जी
हटाएंअच्छी जानकारी और अच्छे चित्र भी ...
जवाब देंहटाएंबहुत पहले बचपन में एक बार इमामबाड़ा गए थे ... आज इतने दिनों बाद आपने फिर इस भूल भुलैया की यादें ताज़ा कर दीं ... मज़ा आ गया फोटो और लेख पढ़ के ...
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया दिगंबर जी।
हटाएंसबसे पहले तो मुआफ़ी चाहती हूँ देर से आने के लिये..पता नहीं कैसे यह पोस्ट नजर में नहीं आयी, शुक्रिया याद दिलाने के लिये, लखनऊ के साथ मेरी बहुत सी यादें जुड़ी है, मात्र दो ही बार जाना हुआ है पर इमामबाडा और भूलभुलैया आज तक याद है, आपकी पोस्ट बहुत रोचक है और चित्र भी बहुत स्पष्ट आये है.
जवाब देंहटाएंमाफ़ी कहकर मुझे शर्मिंदा न करें अनीता जी.....कोई बात नहीं देर आयद दुरुस्त आयद :-)
हटाएंबहुत बहुत शुक्रिया जो आपको पोस्ट पसंद आई ।
अजी , बड़ा ही शाही अंदाज में आपने सैर कराया है खूबसूरत इमामबाड़े का..खास कर आप और सचिन भूल भुलैया में अच्छे लग रहे है..खूबसूरत पोस्ट के लिए शुक्रिया...
जवाब देंहटाएंशुक्रिया अमृता जी ।
हटाएंnayi jaankari mili. aabhar.
जवाब देंहटाएंआपने तो लखनऊ की सैर करा दिया...शानदार प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंशुक्रिया शरद जी।
हटाएंबहुत ही अच्छा यात्रा वृतांत
जवाब देंहटाएंतस्वीरे भी बहुत सुन्दर है....
:-)
शुक्रिया रीना ।
हटाएंkucch toh mohabbat mer eshehar main rehti hai
जवाब देंहटाएंaise hi ise nazakat ka shehar nahin kaha jaata
kucch toh izzat bashindon k dilon main rehti hai
isliye ise tehzeeb ka nagar hai kaha jaata
hai chand chhone kii khwahish , apne tareeke se
yoonhi nawabon ka shehar nahin kaha jaata
rehta hai yahan 'Saahil' yaadon main "noor' aur'begum akhtar' kii
log yoon hi nahin kehte shayr yahan ka har bachcha hota hai