मई 30, 2014

अहसास

दोस्तों,

आप सबको सलाम अर्ज़ करता हूँ और इस बात के लिए माफ़ी का तलबगार हूँ कि एक लम्बे अरसे से ब्लॉगर से गैरहाजिर रहा । कुछ मसरूफियत की वजह से गुज़रे दिनों न ही कुछ लिख पाया और न ही कुछ पढ़ पाया । आइन्दा दिनों में पूरी कोशिश रहेगी कि आप सबके ब्लॉग पर नियमित आना हो और ये निरंतरता बनी रहे | 
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अहसास कहीं हैं खोये हुए
लफ्ज़ मेरे जैसे सोये हुए,
बैठा हूँ कब से इंतज़ार में
मैं हाथ में कलम लिए हुए,

कागज़ पर नक्श बनते हैं 
और बन-बन के बिगड़ते हैं,
लाख सम्भालूँ इन्हें मगर 
फिर भी ज़ेहन से फिसलते हैं,

एक जो तेरा इशारा मिले 
तो फिर कोई ग़ज़ल लिखूँ मैं,
एक जो तेरा सहारा मिले 
तो फिर कोई नज़्म बुनूँ मैं,

© इमरान अंसारी