दोस्तों आज पहली बार ज़रा 'हास्य' में कुछ लिखा है । आपके सामने पेश है.... । अच्छा- बुरा जैसा भी लगे ज़रूर बताएं। कसौटी होगी आपकी मुस्कान अगर वो चेहरे तक आ गयी है न छुपाये और हमे भी दाँत दिखाएँ ताकि हम उन्हें गिन पाएँ ...तो न झुंझलाये और लुत्फ़ उठायें :-
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घर से हम थे जैसे ही निकले
थोड़ी ही दूर पर जाकर फिसले,
देखा एक गोरा सा मुखड़ा
हाय ! चाँद का था टुकड़ा,
दिल आया उसके क़दमों के नीचे
फ़ौरन ही हम लग लिए थे पीछे,
सुर्ख होठ थे गालों पर थी लाली
पता चला थानेदार की थी साली,
लम्बे घने रेशम के जैसे थे बाल
किसी नागिन सी उसकी थी चाल,
खड़ा था वहाँ उसका भाई भी निट्ठल्ला
आ गए हम जहाँ वो था उसका मोहल्ला,
हट्टा-कट्टा मुस्टंडा सा था जवान
दंड पेलने वाला था वो पहलवान,
देखते ही कम्बख्त वो ऐसा टूट पड़ा
जिस्म के हर हिस्से से दर्द फूट पड़ा,
काँटे से इश्क़ कि राह में बो दिए गए
हाय ! हम बुरी तरह से धो दिए गए,
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ये मुस्कराहट यूँ ही बनी रहे आने वाला नया साल आप सभी के जीवन में खुशियों की बहार लेकर आये । नव वर्ष कि हार्दिक शुभकामनायें आप सभी को |