आँखों में कितने ख्वाब मचलते थे
हसरतों के दिल में चिराग जलते थे,
झक सफ़ेद एक घोड़े पर सवार
ख्वाबो का वो सब्ज़ शहज़ादा
एक रोज़ कहीं दूर से आएगा
अपने साथ मुझे भी ले जायेगा,
हाय ! कितनी नादाँ थी कितनी भोली मैं
कच्ची उम्र में बिठा दी गयी डोली में मैं,
बैठी शर्म से सकुचाई फूलों की सेज पर
आते ही रखी थी उसने बोतल मेज पर,
लड़खड़ा रहे थे कदम मुँह से छूटता भभूका था
खसोटा ज़ालिम ने जैसे भेड़िया कोई भूखा था,
अब तो यही स्वर्ग और यही देवता था मेरा
यही संस्कृति थी और यही अब धर्म था मेरा,
रीती-रिवाज़ों के बंधन में जकड़ी गई
कैसे-कैसे और कहाँ-कहाँ मैं पकड़ी गई,
जिसके लिए रखती रही करवा-चौथ
उसने सीने पर बिठा दी लाकर सौत,
मासूम बच्चों की आँखों को देखती रही
इनका क्या दोष है बस ये सोचती रही,
हर ज़ुल्म इसलिए चुपचाप सहती रही
दरिया में तिनके कि तरह मैं बहती रही,
पूछती रब से तूने तो जग को बनाया
इस जग ने तो जननी को ही भुलाया,
सुन कर बात मेरी वो धीरे से मुस्काया
बोला तूने भी तो अपनी शक्ति को भुलाया,
मत भूल तुझे भी मैंने वो सब दिया है
जिस पर इतराता ये पुरुष जिया है,
देख उठा कर शास्त्रो और पुराणो को
मारा है शक्ति ने कितने हैवानों को,
भस्म हुए है जिस पर तूने नज़र डाली है
सिर्फ कोमलांगी नहीं तुझमे भी काली है,
झुक जाती सबके आगे तुझमे वो भक्ति है
और दुष्टों का संहार करे तुझमे वो शक्ति है,
© इमरान अंसारी
सही है आज के दौर में यदि हर औरत अपने अंदर की इस शक्ति को समझ जाये तो बात बन जाये ...सार्थक भाव लिए सशक्त रचना ...बहुत बढ़िया।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया पल्लवी जी |
हटाएंबहुत सुन्दर....
जवाब देंहटाएंसच....
सार्थक....!
शुक्रिया दी |
हटाएंसुंदर,सार्थक भावपूर्ण पंक्तियाँ ...!
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RECENT POST -: हम पंछी थे एक डाल के.
शुक्रिया धीरेन्द्र जी |
हटाएंसशक्त रचना … नारी ही शक्ति है, सृष्टि की सृजनकर्ता है. "अबला" सदियों पुरानी सड़ी गली सोच है । और ऐसी सोच तो बदलनी ही चाहिए । सटीक अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया संध्या जी |
हटाएंएक बार सही अर्थों में समानता आ जाये तो हालत बदलते भी देर नहीं लगेगी.बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति व्यथा की.
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया निहार भाई |
हटाएंमन के भाव कहती रचना ......
जवाब देंहटाएंशुक्रिया मोनिका जी |
हटाएंसच में नारी अपने शक्ति को भूल गयी है उसे अब अपनी शक्ति को समझना होगा और अपने पर होते हुए अन्याय का प्रतिरोध करना होगा ...... बहुत सुंदर रचना .....सुंदर अभिव्यक्ति .....
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया रंजना जी |
हटाएंनारी की उस शक्ति को नमन..
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया अनीता जी |
हटाएंबेहद प्रभावी ... असल शक्ति को पहचाना जरूरी है ... नारी की शक्ति ही मानव को प्रेरित करती है हर कृत्य के लिए ... नारी को जागना होगा ...
जवाब देंहटाएंनव वर्ष की मंगल शुभकामनायें ...
बहुत शुक्रिया दिगंबर जी आपको भी नव वर्ष कि शुभकामनायें |
हटाएंइस तरह से शक्ति का आह्वान कोई नारी ह्रदय ही कर सकता है जो प्रेम से लबालब हो . इमरान , आपके ह्रदय के भावों को ये रचना सुंदरता से सम्प्रेषित कर रहा है..
जवाब देंहटाएंतहेदिल से शुक्रिया आपका अमृता जी |
हटाएंशक्ति की पहचान होकर भी लोग रहते अनजान
जवाब देंहटाएंतो दुर्गा भरेगी हुँकार
लेगी जान
बहुत प्रभावशाली रचना...शक्ति की पहचान जरूरी है|
जवाब देंहटाएंMan Ki Bhav Vibhor Karne Wali Rachna. Thank You.
जवाब देंहटाएंबेहद प्रभावी सशक्त रचना .......
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