छलक न पड़े इनमें से दर्द कहीं इसलिए
आँखों को काजल से सजाकर रखती थी,
मिलते ही चला न जाये दिल का करार
इसलिए नज़रों को झुकाकर रखती थी,
पहचान न ले कहीं चेहरे से ये ज़माने वाले
प्यार को मेरे सीने में दबाकर रखती थी,
नहीं कर पाई होठों से इक़रार इश्क़ का मगर
तस्वीर मेरी किताबों में छुपाकर रखती थी,
अजीब दीवानी सी लड़की थी वो 'इमरान'
इंतज़ार में तेरे पलकें बिछाकर रखती थी,
इमरान मियाँ , अब उन नाजुक पलकों को ज्यादा देर तक बिछवाए न रहें..
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा,गजल...!
जवाब देंहटाएंRECENT POST -: एक बूँद ओस की.
ऐसे ह्रदय में ही तो सच्चा प्यार स्थित होता है. अति सुन्दर कृति.
जवाब देंहटाएंलेकिन खबर ही न हुई थी तब इस दिल को...
जवाब देंहटाएंaji hujur ! vaah suniye
जवाब देंहटाएंप्रेमपगे भाव .....
जवाब देंहटाएंकोमल एहसासों से सजी सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंवाह !! बहुत सुंदर रचना ....
जवाब देंहटाएंइंतज़ार में पलकें बिछाना ... असल प्रेम का एहसास होना ...
जवाब देंहटाएंकोमल नाज़ुक पलों से पिरोई गज़ल .. भावपूर्ण शेर ....
आप सभी कद्रदानों का तहेदिल से शुक्रिया |
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