प्रिय ब्लॉगर साथियों,
मैं एक समाज सेवी संस्था में कार्यरत हूँ जहाँ बच्चे 'गोद' दिए जाते हैं। जब लोग यहाँ आते हैं तो देखता हूँ की लोगों के चेहरों पर कितनी निराशा और जिंदगी में कितना अधूरापन है। पर जब वो एक मासूम बच्चे को गोद लेते हैं तो उनकी ख़ुशी का भी कोई ठिकाना नहीं होता। ख़ुदा सबको औलाद से नवाज़े.......आमीन।
मैं एक समाज सेवी संस्था में कार्यरत हूँ जहाँ बच्चे 'गोद' दिए जाते हैं। जब लोग यहाँ आते हैं तो देखता हूँ की लोगों के चेहरों पर कितनी निराशा और जिंदगी में कितना अधूरापन है। पर जब वो एक मासूम बच्चे को गोद लेते हैं तो उनकी ख़ुशी का भी कोई ठिकाना नहीं होता। ख़ुदा सबको औलाद से नवाज़े.......आमीन।
जब भी कभी कोई ऐसा मिलता है तो मैं यही कहता हूँ की निराश होने की बजाय तुम किसी का सहारा बनो और वो तुम्हारा सहारा बनेगा......आप लोग भी ऐसी कोशिश ज़रूर करें और बेऔलाद लोगों को प्रोत्साहित करें कि वो किसी यतीम को अपना नाम दें । तो आज कि ये पोस्ट उन लोगों के नाम :-
सब कहते थे ......उसका ही कसूर है
काले साये उसे चारो तरफ से
घेर कर चीखते थे, चिल्लाते थे -
बाँझ ! बाँझ ! बाँझ !
पुराने पीपल के फेरे भी लगाये थे उसने,
मंदिर में सुबह-ओ-शाम दिया-बाती की
दरिया पार वाले पीर बाबा की
मन्नत का धागा भी बांधा था,
पर कोख सूनी की सूनी रही
जलती रही, तड़पती रही, रोती रही वो
और खुद से ही पूछती रही.........
क्या सच में ही वो एक बंजर ज़मीन है
जिस पर कभी कोई फूल नहीं खिलेगा?
नहीं, उसके साये में बीज ज़रूर पनपेगा
उसकी गोद में भी किलकारियाँ गूँजेंगीं
वो एक लावारिस को अपना नाम देगी
एक नई जिंदगी को पहचान देगी,
और अब एक यतीम घर का वारिस है
और उसे 'माँ' का रुतबा हासिल है
जिससे बड़ा और कोई रुतबा नहीं
दोनों ने एक दूसरे 'पूरा' किया है,
खून की शिरकत से ही रिश्ते नहीं बनते
वो तो प्यार से सींचे जाते हैं...........
बहुत सुन्दर सन्देश दे रही है आपकी रचना... सच है रिश्ते प्यार और अपनेपन से भी जोड़े जा सकते हैं, और ये बंधन खून के रिश्तों से भी मज़बूत होते है...
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया संध्या जी ।
हटाएंजिसे एक दुनिया लावारिस बनती है
जवाब देंहटाएंउसे एक दुनिया गले लगाती है - रिश्ते देती है ........... आपकी दुआओं का असर रहे
आमीन.......शुक्रिया रश्मि जी ।
हटाएंVery nice Brother ,
जवाब देंहटाएंthank you so much.
हटाएंबहुत अच्छी कविता ....एक वो मां जो यतीम बनाती है और एक मां जो उसे अपना वारिस बनाती है और खुद भी पूर्ण होती है.........
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया सुधा जी ।
हटाएंbahut sunder kavita ...
जवाब देंहटाएंरिश्ता कोई भी हो नीव हमेशा प्यार की होनी चाहिए, तभी रिश्ते निभाए जा सकते है फिर चाहे वो खून के हों या अंजाने...भावपूर्ण रचना :)
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रिया पल्लवी जी ।
हटाएंइमरान जी।अन्तः मन को भींगो गयी रचना ...अगर सब इसे समझने लगे तो कोई अनाथ ना रहे और नाहीं कोई बेऔलाद।।।
जवाब देंहटाएंसही कहा स्वाति.....शुक्रिया।
हटाएंमर्मस्पर्शी रचना एवं सन्देश .....
जवाब देंहटाएंस्वागत है बहुत दिनों बाद मोनिका जी........शुक्रिया।
हटाएंखूबसूरत विचार और रचना इमरान भाई. जनने से नहीं होती, माँ होती है पालनहारा. जो प्यार से सींचा जाए उसमे गुल तो खिलने ही हैं.
जवाब देंहटाएंसही कहा बहुत बहुत शुक्रिया निहार भाई।
हटाएंबहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंदुनिया में रिश्ते सिर्फ दिल से निभाए जाते है इमरान...!
ऐसे तो कहने को बहुत से रिश्ते होते हैं...
लेकिन ताउम्र वही चलते हैं जिनमें प्यार होता है...!
और प्यार सिर्फ दिल से ही होता है...
कोई ज़रूरी नहीं कि रिश्ता जन्म से ही हो...!
सही कहा दी.........शुक्रिया।
हटाएंमुबारक हो आपको आपका नेक काम और नेक ख्यालात...माँ बनने की खुशी क्या होती है यह तो एक माँ ही बता सकती है..सन्तान उसकी अपनी हो या गोद ली हुई इससे कोई फर्क नही पड़ता, मैंने अपने आस-पास ऐसे कितने ही परिवार देखे हैं, अपना बना लो तो पल भर में पराया अपना बन जाता है..सुंदर रचना !
जवाब देंहटाएंसही कहा अनीता जी.........बहुत बहुत शुक्रिया।
हटाएंदिल को छूती हुई रचना ... सच है की वैसे भी बच्चे को क्या पता किसने उसे पैदा किया ... वो तो निश्छल प्रेम ले के आता है दुनिया में ओर बांटता है प्यार ... ये रिशा दिल का दिल से होता है ... जनम का नहीं ... लाजवाब रचना के लिए बधाई इमरान जी ...
जवाब देंहटाएंहौसलाफजाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया दिगंबर जी ।
हटाएंनेक काम..खूबसूरत कलाम! ..वाह!!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया देव बाबू ।
हटाएंखून की शिरकत से ही रिश्ते नहीं बनते,,,
जवाब देंहटाएंरिश्ते तो प्यार सींचे जाते हैं..लाजबाब रचना बधाई इमरान जी,,,
recent post : जन-जन का सहयोग चाहिए...
शुक्रिया धीरेन्द्र जी ।
हटाएंखून की शिरकत से ही रिश्ते नहीं बनते
जवाब देंहटाएंवो तो प्यार से सींचे जाते हैं........... बहुत सही
आभार इस उत्कृष्ट प्रस्तुति के लिये
बहुत शुक्रिया सदा जी ।
हटाएंइमरान , हमारे मन में आज तो तुमने कुछ और ही जगह बना लिया है . तारीफ़ तो नहीं करुँगी तुम्हारी.. पर ...हाँ ! हमें नेक काम को करते रहने की कोशिश जरूर करते रहना चाहिए .
जवाब देंहटाएंबिल्कुल......शुक्रिया अमृता जी........तारीफ़ न करके भी आपने कर ही दी :-)
हटाएंइमरान,
जवाब देंहटाएंजान के ख़ुशी हुई आप नेक-नीयती को अमली जामा भी पहनाते हैं। मौला आपको बरकत से नवाज़े।
सही है, रिश्ते खून के नहीं, अहसास के होते हैं।
ढ़
--
थर्टीन रेज़ोल्युशंस!!!
बहुत बहुत शुक्रिया आशीष भाई।
हटाएंआमीन ! इमरान जी आपकी दुआ कबूल हो , बेहद प्रेरणादायक भाव !!!
जवाब देंहटाएंआपका शुक्रिया जनाब।
हटाएंbahut khoob...
जवाब देंहटाएंkhaskar akhiri lines to dil to chhu gyi
आपका शुक्रिया सुनील जी।
हटाएंबहुत सच कहा है कि खून की शिरकत से ही रिश्ते नहीं बनते, भावनाओं और अहसास से बने रिश्ते ही सच्चे रिश्ते हैं...बहुत सार्थक प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया कैलाश जी ।
हटाएंGahre bhao...
जवाब देंहटाएंRishton se zindagi hoti hai...zindagi,rishton se nhi...aur iske lie pyar mayane rakhta h...''
Shubhkamnaye,aapko aur aapki sanstha ko :)