जितना पास गया मैं उतनी ही दूरी बढ़ती रही
जिंदगी सिवाय सफ़र के और कुछ भी नहीं,
न रखना कभी किसी से कुछ पाने की उम्मीद
लेना जानते हैं लोग यहाँ, देने को कुछ भी नहीं,
उमर बिता दी जिसने जीतने में दुनिया सारी
क्या लेकर गया सिकंदर यहाँ से कुछ भी नहीं,
मैं कैसे दावा कर दूँ मसीहाई का ए ! दोस्त
खुद मेरे दामन में दर्द के सिवा कुछ भी नहीं,
ले अपने आगोश में कर मुझको फ़ना मेरे ख़ुदा
बाकी बचे मेरा अब मुझमे निशां कुछ भी नहीं,
क्यूँ किसी हुस्न-ए-बुतां में ढूँढते हो तुम उसे 'इमरान'
हर ज़र्रे में नुमाया है वो उसके सिवा और कुछ भी नहीं,
देने में अमीरी लगे मन की तब न देंगे ........ ग़ज़ल ने टुकड़े टुकड़े बहुत कुछ कह दिया
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रिया रश्मि जी।
हटाएंबहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल ......हर शेर दूसरे पर भारी
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया सरस जी।
हटाएंसच यही है,खाली हाथ आये थे खाली हाथ जाना है ...बेतरीन ग़ज़ल... शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया संध्या जी।
हटाएंक्या ले गया सिकंदर यहाँ से कुछ भी नहीं...यह समझ में आ जाये तो लेने की भाव दशा ही बदल जाती है..
जवाब देंहटाएंजीवन के यथार्थ का बोध कराती सुंदर गजल..आभार !
कुछ कुछ समझ आने लगा है अनीता जी :-)) ........शुक्रिया।
हटाएंहरेक शेर लाजवाब है ... बेहद खूबसूरत गज़ल .... जिंदगी के राजों को खुलासा करती ...
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रिया शालिनी जी ।
हटाएंबेहतरीन इमरान भाई. सारे शेर बहुत अच्छे लगे. और तो कुछ जाता नहीं साथ एक प्यार है जो जीते जी भी मिल जाए और मरने के बाद भी....बस वही है जो आपको जिंदा बनाये रखता है.
जवाब देंहटाएंसही कहा .......शुक्रिया निहार भाई ।
हटाएंखुद मेरे दामन में दर्द के सिवा कुछ भी नहीं,
जवाब देंहटाएंले अपने आगोश में कर मुझको फ़ना मेरे ख़ुदा ....
आप साबित कर रहे हैं ....
तजुर्बे का ,उम्र से कोई नाता नहीं ....
ख़ुदा आपको लम्बी उम्र से नवाज़े भाई ....
ख्याति फैलती रहे .....
आमीन !!
आमीन.....आप बाधों का आशीर्वाद बना रहे.........बहुत शुक्रिया दी ।
हटाएंकमाल की गजल...
जवाब देंहटाएं:-)
शुक्रिया ।
हटाएंगहरी बातें सहेजे पंक्तियाँ .....हम सोचें तो....
जवाब देंहटाएंशुक्रिया मोनिका जी ।
हटाएंबहुत सुंदर शेर,बेहतरीन गजल,,,,शुभकामनायें,,,
जवाब देंहटाएंrecent post: गुलामी का असर,,,
शुक्रिया धीरेन्द्र जी ।
हटाएंWaah.. kya kavita likhi hai aapne imraan. main pehli baar aaya hu aapke blog par.. I have read only one poem and I already know that you are a skillfull and superb writer.. It would be a pleasure if you visit my blog sometime.. http://theoriginalpoetry.blogspot.in/
जवाब देंहटाएंRegards,
Deepak
Thank you so much Deepak for coming, joining & Comment on my Blog.
हटाएंअंतिम पंक्तियों बहुत ही जानदार है क्यूंकि सच यही है। :)
जवाब देंहटाएंशुक्रिया पल्लवी जी ।
हटाएंvery nice lines.
जवाब देंहटाएंशुक्रिया जनाब।
हटाएंvery very nice...
जवाब देंहटाएंharek sher lajawab hei imran ji,
aap jo bhi likhte hein,wo khas hota hein..
आपकी सभी टिप्पणियों का तहेदिल से शुक्रिया......सब आप लोगों की ज़र्रानवाज़ी है ....हम किस काबिल हैं ।
हटाएंBAHUT SUNDAR..MANN KO CHHU GAI...
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रिया आशा जी।
हटाएंदामन में जो दर्द है कोहिनूर से कम नहीं जिसे समेट भर लेने से ही आगोश में 'वो' आ जाता है .
जवाब देंहटाएंसही कहा अमृता जी आपने अक्सर दर्द ही आँखें खोलता है ।
हटाएंसच है हर ज़र्रे में नुमाया वह है...बहुत सुन्दर गहन भाव..बेहतरीन ग़ज़ल..
जवाब देंहटाएंशुक्रिया कैलाश जी ।
हटाएंजो आया है उसे खाली हाथ ही जाना है ... फिर सिकंदर क्या ओर रंक क्या ..
जवाब देंहटाएंहर शेर गहरी बात बयान कर रहा है इमरान जी ...
शुक्रिया दिगंबर जी ।
हटाएंKabhi to kuch bhi nhi,kabhi sab kuch hai ye zindagi...yahi dastur hai,humara zinda hona kya ye sabut nhi ki hum zindagi ke jhamelon se dur hai...''
जवाब देंहटाएंBahut hi umda rachna...
वाह .....उसके सिवा कुछ भी नही ....कुछ भी नही ....हर जर्रे में समय है वो .....
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