वो सब साथ-साथ ही बढ़ रहे थे,
मेरी जिंदगी के आँगन में,
रहम, हमदर्दी और इंसानियत
सबसे छोटी और मासूम थी
'ख़ुशी' नाम की छोटी सी चिड़िया
बड़े नाज़ो से पाल रहा था मैं उसे,
इक दिन वक़्त नाम का बहेलिया
महबूब का बहरूप भर के आया था,
धोखे के तीरों से तरकश भरा
हुआ था उसका और उस पर 'भरोसे' का
ज़हर भी लगा लिया था
एक तीर निशाना लगा कर
मासूम पर साधा था उसने
तेज़ नेज़ा सीधे दिल में उतर गया
बस उसी दिन वहीँ पर
मेरी 'ख़ुशी' ने दम तोड़ दिया था,
तब से मेरी जिंदगी के आँगन में
और सब कुछ है सिवाय "ख़ुशी" के,
मेरी 'ख़ुशी' ने दम तोड़ दिया था,
जवाब देंहटाएंतब से मेरी जिंदगी के आँगन में
और सब कुछ है सिवाय "ख़ुशी" के,,,,,,,,,संवेदनशील उम्दा अभिव्यक्ति,,,,
RECENT POST बदनसीबी,
बेहद अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंशुक्रिया रश्मि जी।
हटाएंओह...धोखे के तीरों पर भरोसे का ज़हर मासूम ख़ुशी कैसे बचती भला....
जवाब देंहटाएंसही कहा संध्या जी आखिर कब तक :-(
हटाएंऐसा भी होता है ..... गहरे भाव
जवाब देंहटाएंअक्सर होता है.....शुक्रिया मोनिका जी ।
हटाएंbahut marmik bhav....
जवाब देंहटाएंशुक्रिया पूनम जी।
हटाएंप्यार में तो सबकुछ लुट जाता है तो ख़ुशी भी नहीं है तो क्या हुआ? वैसे ...कमाल का नज़्म..अच्छी लगी.
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रिया अमृता जी ।
हटाएंवक्त के हाथों कोई बचा है क्या..गहन जीवन दर्शन को व्यक्त करती पंक्तियाँ..समयातीत हुए बिना सुख पाया नहीं जा सकता..
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रिया अनीता जी..........वक़्त के पार है कहीं 'ख़ुशी'.....सच कहा।
हटाएंwah wah...
जवाब देंहटाएंdil ki baath dil se kah di apne.
thanx
बहुत शुक्रिया सुनील ।
हटाएंअनुपम भाव संयोजन के साथ बेहतरीन भावभिव्यक्ति.....शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रिया पल्लवी जी ।
हटाएंwahh... Behtreen..
जवाब देंहटाएंhttp://ehsaasmere.blogspot.in/2013/02/blog-post.html
शुक्रिया सुरेश जी ।
हटाएंasal mein to khushi hi 'sab kuch' hai..imraan ji! :)
जवाब देंहटाएंहाँ उम्र भर इंसान इसी के पीछे दौड़ता है.......शुक्रिया पारुल जी।
हटाएंबहुत कोमल अहसासों को समेटे सुन्दर कविता !
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रिया शालिनी जी।
हटाएंभरोसे के ज़हर वाले बहेलिये अक्सर घुमते रहते हैं आज भी ...
जवाब देंहटाएंभावमय रचना ...
सही कहा दिगंबर जी .......शुक्रिया।
हटाएंखुशी नाम की चिड़िया अकेली नहीं जहान में..
जवाब देंहटाएंBharose ki baat thi...kabhi to hum bharose ke lie rote hain kabhi bharosa karke rote hai...yahi zindagi hai.
जवाब देंहटाएंAlways be happy for no reason and no season.
जवाब देंहटाएंबहुत भावमयी ....कभी ,होता है ऐसा कभी कभी .....पर कभी बार बार .....खुशी गम के पीछे होती है छिपी .....देर सवेर आएगी जरूर ......
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