फ़रवरी 04, 2013

ख़ुशी



वो सब साथ-साथ ही बढ़ रहे थे,
मेरी जिंदगी के आँगन में, 
रहम, हमदर्दी और इंसानियत 
सबसे छोटी और मासूम थी 
'ख़ुशी' नाम की छोटी सी चिड़िया  
बड़े नाज़ो से पाल रहा था मैं उसे,

इक दिन वक़्त नाम का बहेलिया 
महबूब का बहरूप भर के आया था,
धोखे के तीरों से तरकश भरा 
हुआ था उसका और उस पर 'भरोसे' का 
ज़हर भी लगा लिया था 

एक तीर निशाना लगा कर 
मासूम पर साधा था उसने 
तेज़ नेज़ा सीधे दिल में उतर गया 
बस उसी दिन वहीँ पर 
मेरी 'ख़ुशी' ने दम तोड़ दिया था,

तब से मेरी जिंदगी के आँगन में 
और सब कुछ है सिवाय "ख़ुशी" के,


29 टिप्‍पणियां:

  1. मेरी 'ख़ुशी' ने दम तोड़ दिया था,
    तब से मेरी जिंदगी के आँगन में
    और सब कुछ है सिवाय "ख़ुशी" के,,,,,,,,,संवेदनशील उम्दा अभिव्यक्ति,,,,

    RECENT POST बदनसीबी,

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  2. ओह...धोखे के तीरों पर भरोसे का ज़हर मासूम ख़ुशी कैसे बचती भला....

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  3. प्यार में तो सबकुछ लुट जाता है तो ख़ुशी भी नहीं है तो क्या हुआ? वैसे ...कमाल का नज़्म..अच्छी लगी.

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  4. वक्त के हाथों कोई बचा है क्या..गहन जीवन दर्शन को व्यक्त करती पंक्तियाँ..समयातीत हुए बिना सुख पाया नहीं जा सकता..

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    1. बहुत शुक्रिया अनीता जी..........वक़्त के पार है कहीं 'ख़ुशी'.....सच कहा।

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  5. बेनामीफ़रवरी 05, 2013

    wah wah...
    dil ki baath dil se kah di apne.
    thanx

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  6. अनुपम भाव संयोजन के साथ बेहतरीन भावभिव्यक्ति.....शुभकामनायें

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  7. wahh... Behtreen..
    http://ehsaasmere.blogspot.in/2013/02/blog-post.html

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  8. asal mein to khushi hi 'sab kuch' hai..imraan ji! :)

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    1. हाँ उम्र भर इंसान इसी के पीछे दौड़ता है.......शुक्रिया पारुल जी।

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  9. बहुत कोमल अहसासों को समेटे सुन्दर कविता !

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  10. भरोसे के ज़हर वाले बहेलिये अक्सर घुमते रहते हैं आज भी ...
    भावमय रचना ...

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  11. खुशी नाम की चिड़िया अकेली नहीं जहान में..

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  12. Bharose ki baat thi...kabhi to hum bharose ke lie rote hain kabhi bharosa karke rote hai...yahi zindagi hai.

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  13. बहुत भावमयी ....कभी ,होता है ऐसा कभी कभी .....पर कभी बार बार .....खुशी गम के पीछे होती है छिपी .....देर सवेर आएगी जरूर ......

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जो दे उसका भी भला....जो न दे उसका भी भला...