इस खुबसूरत पेंटिंग को देखकर दिल से निकले कुछ ख्याल :-
नैनो में डाल के कजरा
केशों में बाँध के गजरा,
बल खा के चली मैं आज
जग से मोहे आती है लाज,
पनघट पे खड़ा होगा बैरी
तोड़ेगा फिर गगरी मोरी,
मरती हैं जिस पर सभी गोरी
करता है जो माखन की चोरी,
वेणु पर लिए वो मधुर तान
होठों पर एक मंद मुस्कान,
झुक जाएगी पलके लाज से
छोड़ेगा नैनो से ऐसे बान,
मेरे इस जीवन का अंग है आधा
वो मेरा कृष्णा , मैं उसकी राधा
© इमरान अंसारी
सुभानअल्लाह भाई
जवाब देंहटाएंबेमिसाल
आपकी लेखनी तो गज़ब का जादू जानती है
ख़ुदा नेमत दे आपको
khoobsurat kavita
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी भावभिव्यक्ति :)
जवाब देंहटाएंमेरे इस जीवन का अंग है आधा
जवाब देंहटाएंवो मेरा कृष्णा , मैं उसकी राधा ,,,
बहुत सुंदर रचना ,,,
RECENT POST -: तुलसी बिन सून लगे अंगना
आपकी यह पोस्ट आज के (२८ अक्टूबर , २०१३) ब्लॉग बुलेटिन - कौन निभाता किसका साथ - पर प्रस्तुत की जा रही है | बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया हमारे ब्लॉग कि पोस्ट को यहाँ शामिल करने का |
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जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत रचना ......
अच्छी कविता है इमरान जी..... साधुवाद......
जवाब देंहटाएंhttp://achhibatein.blogspot.in
बहुत सुन्दर ,श्रृंगार रस से भरी कविता |
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट सपना और मैं (नायिका )
उम्दा पोस्ट इमरान जी
जवाब देंहटाएंचित्र के साथ बिलकुल न्याय करती है आपकी यह रचना. अति सुन्दर.
जवाब देंहटाएंआज तो राधा मय है आपका ब्लॉग ...
जवाब देंहटाएंप्रेम ओर श्रृंगार का पुट लिए बहुत ही उम्दा पोस्ट ...
आप सभी कद्रदानों का तहेदिल से शुक्रिया |
जवाब देंहटाएंअजी , इस राधा से तो कोई और भी झाँक रहा है लजाते हुए.. वाह ! कलम की निखार दिख रही है..
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति .....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर मनभावन रचना...
जवाब देंहटाएंवाह...बहुत सुन्दर....बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंनयी पोस्ट@जब भी जली है बहू जली है
वाह .... बहुत ही बढिया
जवाब देंहटाएंआभार
क्या बात .....बहुत खूब ........
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