आस का एक दीया
जलता है मुझमें
विश्वास का एक दीया
जलता है मुझमें,
बारिशो ने जोर लगाया
आधियों ने फूँक मारी
पर इस दिए की लौ
किसी से भी न हारी,
लाख कोशिशें की मिलकर
बेदर्द ज़माने वालों ने
हर तरकीब अपनाई
मुझको बुझाने वालों ने,
इस दीये की लौ नहीं काँपती
क्योंकि ये तुझसे लगाई है
जब-जब भी हवा चली है
ये और मुस्कुराई है,
आस का एक दीया
जलता है मुझमें
विश्वास का एक दीया
जलता है मुझमें,
आनन्दम..आनन्दम..एक जला हुआ दीया कितनों को जलाता है इसलिए ये चिरन्तर जलता रहे..आमीन..
जवाब देंहटाएंnice blog ..dhire dhire sabhirachnaaye padhungaa ..
जवाब देंहटाएंप्रभावित करती सुंदर रचना ...!
जवाब देंहटाएंRECENT POST : अपनी राम कहानी में.
लाख कोशिशें की मिलकर
जवाब देंहटाएंबेदर्द ज़माने वालों ने
हर तरकीब अपनाई
मुझको बुझाने वालों ने,
मन को प्रभावित करती सुंदर रचना ...!
RECENT POST : अपनी राम कहानी में.
आशा का संचार करती अति सुन्दर रचना इमरान भाई. यह दीया यूँ ही रोशन रखे मन को.
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट ...... आशा और विशवास जगाती पंक्तियाँ
जवाब देंहटाएंआस के इस दिए को बुझाना आसान नहीं होता ... होंसले का दीप हवा पानी से नहीं बुझता ...
जवाब देंहटाएंआशा ओर विश्वास का आह्वान करती सुन्दर रचना है ...
बहुत सुंदर...आशा और विश्वास का यह दीया यूँ ही जलता रहे और जीवन का पथ इसी तरह प्रशस्त करे..
जवाब देंहटाएंभावो का सुन्दर समायोजन......
जवाब देंहटाएंआपके आस का दिया...... कभी न बुझने पाए... निरन्तर जलता रहे.....
जवाब देंहटाएंआस का ...विश्वास का दीया ....जो जलाया है ....वो जलता रहे हमेशा ....जब तक ये है रौशनी बाकी है ...आमीन ...
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