अक्तूबर 08, 2013

दीया



आस का एक दीया
जलता है मुझमें 
विश्वास का एक दीया
जलता है मुझमें,

बारिशो ने जोर लगाया 
आधियों ने फूँक मारी 
पर इस दिए की लौ 
किसी से भी न हारी, 

लाख कोशिशें की मिलकर 
बेदर्द ज़माने वालों ने 
हर तरकीब अपनाई 
मुझको बुझाने वालों ने,

इस दीये की लौ नहीं काँपती
क्योंकि ये तुझसे लगाई है 
जब-जब भी हवा चली है 
ये और मुस्कुराई है,

आस का एक दीया
जलता है मुझमें 
विश्वास का एक दीया
जलता है मुझमें,

11 टिप्‍पणियां:

  1. आनन्दम..आनन्दम..एक जला हुआ दीया कितनों को जलाता है इसलिए ये चिरन्तर जलता रहे..आमीन..

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  2. लाख कोशिशें की मिलकर
    बेदर्द ज़माने वालों ने
    हर तरकीब अपनाई
    मुझको बुझाने वालों ने,

    मन को प्रभावित करती सुंदर रचना ...!


    RECENT POST : अपनी राम कहानी में.

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  3. आशा का संचार करती अति सुन्दर रचना इमरान भाई. यह दीया यूँ ही रोशन रखे मन को.

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  4. उत्कृष्ट ...... आशा और विशवास जगाती पंक्तियाँ

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  5. आस के इस दिए को बुझाना आसान नहीं होता ... होंसले का दीप हवा पानी से नहीं बुझता ...
    आशा ओर विश्वास का आह्वान करती सुन्दर रचना है ...

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  6. बहुत सुंदर...आशा और विश्वास का यह दीया यूँ ही जलता रहे और जीवन का पथ इसी तरह प्रशस्त करे..

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  7. भावो का सुन्दर समायोजन......

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  8. आपके आस का दिया...... कभी न बुझने पाए... निरन्तर जलता रहे.....

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  9. आस का ...विश्वास का दीया ....जो जलाया है ....वो जलता रहे हमेशा ....जब तक ये है रौशनी बाकी है ...आमीन ...

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जो दे उसका भी भला....जो न दे उसका भी भला...