महबूब के नाम मैं
पहला पैगाम लिखूँ,
चूड़ियाँ वो खनकती
पायल वो झनकती
साँसे वो महकती
या तेरी होठो के वो
छलकते जाम लिखूँ,
महबूब के नाम मैं
पहला पैगाम लिखूँ,
आँखों पर कहूँ ग़ज़ल
चेहरे पर बुनूँ नज़्म
या हथेली पर सिर्फ
एक तेरा नाम लिखूँ,
महबूब के नाम मैं
पहला पैगाम लिखूँ,
हाथों में लिए हाथ
देर तक होती बात
कितना हंसी वो साथ
वो गुजरी शाम लिखूँ,
महबूब के नाम मैं
पहला पैगाम लिखूँ,
दिल के अरमान
इश्क़ के फरमान
नज़र वो मेहरबान
कैसे सरेआम लिखूँ,
महबूब के नाम मैं
पहला पैगाम लिखूँ,
© इमरान अंसारी
इश्क के रस में सराबोर सुंदर रचना...
जवाब देंहटाएंबहुत बेहतरीन प्रेमपत्र पैगाम .....
जवाब देंहटाएंबहुत बेहतरीन प्रेमपत्र पैगाम .....
जवाब देंहटाएंवाह..बहुत भावपूर्ण रचना...लाज़वाब
जवाब देंहटाएंइतना खूबसूरत पैगाम .. हाँ! ख़ास महबूब है ...नहीं है आम..
जवाब देंहटाएंप्रेम का झरना स बह रहा हो जैसे ... बहुत ही खूबसूरत पैगाम .. कौन न मर जाए इस सादा अदायगी पर ...
जवाब देंहटाएंहम जानते हैं कौन है वो ... :-) लिखो लिखो इतना खास और खूबसूरत पैगाम लिखना ही चाहिए :)
जवाब देंहटाएंसुन्दर ...प्रेमपगे भाव....
जवाब देंहटाएंइमरान भाई, आपका यह 'पहला पैगाम'... बहुत अच्छा लगा.
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