अगस्त 31, 2012

मेरी टॉप 10 लिस्ट - 3



प्रिय ब्लॉगर साथियों,

आज एक बार फिर आप सब से रूबरू हो रहा हूँइस महीने मेरे ब्लॉग की तीसरी वर्षगाँठ है| इस मौके पर पिछली दो बार की तरह इस बार भी मेरी टॉप 10 लिस्ट हाज़िर हैं |पुराने ब्लॉगर साथी इससे वाकिफ होंगे जो कदरन नए हैं उनके लिए पिछली लिस्ट के लिंक दे रहा हूँ:-



उन सब लोगों का तहेदिल से शुक्रगुज़ार हूँ जिन्होंने अपना कीमती वक़्त इस ब्लॉग को दिया और हौसला अफजाई कीपिछले एक साल में कुछ पुराने ब्लॉगर ने लिखना लगभग छोड़ ही दिया जिनमे पारुल जी, क्षितिजा जी, वर्ज्य नारी स्वर, विशाल जी कई लोगों को काफी याद करता हूँ । कुछ नए ब्लॉग मिले जिनको  पढ़ना एक सुखद अनुभव रहा.......एक अनुभव और हुआ की जब भी ये लिस्ट आती है कुछ लोगों का ब्लॉग पर आना बहुत कम हो जाता है मैं सबसे ये गुज़ारिश करता हूँ की ये सिर्फ मेरा सलाम है उन लोगों को जो बेहतरीन ब्लॉग लिख रहे हैं अन्यथा मैं कोई नहीं होता किसी का आंकलन करने वाला.......कृपया इसको बिलकुल भी अन्यथा लें   

हर बार की तरह मैंने यहाँ किसी ब्लॉग को उसके रचनाकार के तजुर्बे, उम्र, उसके फॉलोवर या उसकी पोस्ट पर टिप्पणीयों या किसी अन्य वजह से नहीं,.......बल्कि सिर्फ और सिर्फ उस ब्लॉग की रचनाओ को आधार बनाया है। दूसरी बात ये लिस्ट सिर्फ मेरी व्यक्तिगत रूचि पर आधारित है, जो पिछले एक साल में मैंने पढ़े हैं और जो मुझे पसंद आये .........कृपया इसे बिलकुल भी अन्यथा लें.......हो सकता है किसी को मुझसे इत्तेफाक हो|


तो शुरू करते हैं नंबर 10  से -

ब्लॉग का नाम       -  मेरे हिस्से की धूप
लिंक                 -  http://merehissekidhoop-saras.blogspot.in
ब्लॉग लेखक         -  सरस दरबारी

सरस जी का ब्लॉग मेरे लिए ज्यादा पुराना नहीं है अभी कुछ दिनों पहले ही उनके ब्लॉग को पढ़ने का सौभाग्य मिला .......उनके लिखने का अलग अंदाज़, उनकी शैली उन्हें भीड़ से अलग खड़ा करती है |

नम्बर 9  पर हैं -

ब्लॉग का नाम       - विचार
लिंक                  -  http://www.testmanojiofs.com
ब्लॉग लेखक         -  मनोज कुमार

मनोज जी का ब्लॉग विचारों का संग्रह है.....मुझे इनके ब्लॉग पर सूफियाना सिलसिला बहुत पसंद आया।उनके इस बेहतरीन काम के लिए उनको हैट्स ऑफ  


नम्बर 8  पर हैं -

ब्लॉग का नाम        -  anubuthi
लिंक                   -  http://kasliwalpoonam.blogspot.in
ब्लॉग लेखक          -  पूनम जैन कासलीवाल

पूनम जी का ये ब्लॉग शानदार है......जीवन की छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी घटनाओ को सुन्दरता से कविता में पिरोती हैं कई बार तो स्तब्ध कर देने वाली पोस्ट मिलती है उनके ब्लॉग पर।


नम्बर  पर हैं -

ब्लॉग का नाम       -  बस यूँ ही
लिंक                  -  http://punamsinhajgd.blogspot.in
ब्लॉग लेखक         -  पूनम

पूनम दी के ब्लॉग गजलों, कविताओं का संग्रह है.....कभी प्रेम की ऊंचाई तो कभी उसकी गहराई को छूती उनकी रचनायें बेजोड़ हैं|


नम्बर 6  पर हैं -

ब्लॉग का नाम        -  दिल की कलम से
लिंक                   -  http://dilkikalam-dileep.blogspot.in
ब्लॉग लेखक          -  दिलीप

दिलीप जी की गजलों का मैं क़ायल हूँ....जिंदगी की छोटी-छोटी बातो को पिरोकर कैसे वो एक शानदार ग़ज़ल का रूप देते है, उनकी ग़ज़लें मन को मोह लेने वाली हैं |

नम्बर 5  पर हैं

ब्लॉग का नाम       -  परवाज़....शब्दों के पंख
लिंक                  -  http://meri-parwaz.blogspot.in
ब्लॉग लेखक         -  डॉ॰ मोनिका शर्मा

एक सुलझी शख्सियत हैं मोनिका जी......उनके ब्लॉग पर समाज परिवार से जुडी छोटी बड़ी  समस्याओं को लेकर लिखे उनके सार्थक लेख और उनका यथासंभव हल देने की उनकी कोशिश के लिए मेरा सलाम उनको|

नम्बर 4 पर हैं -

ब्लॉग का नाम       -  सदा
लिंक                  -  http://sadalikhna.blogspot.in
ब्लॉग लेखक         -  सदा

सदा जी का ब्लॉग अभी पिछले साल से ही पढ़ना शुरू किया है उनकी पोस्ट बहुत गहन होती हैं कभी प्रेम कभी रिश्ते तो कभी स्वयं को समेटे

नम्बर 3 पर हैं -


ब्लॉग का नाम       -  मेरी भावनायें...
लिंक                  - http://lifeteacheseverything.blogspot.in
ब्लॉग लेखक         -  रश्मि प्रभा...

खुद हैरान हूँ कि तीन साल हो गए ब्लॉगजगत में और मैं रश्मि जी के ब्लॉग से अछूता रह गया था पर कुछ दिनों पहले ही उनके ब्लॉग पर जाने का सौभाग्य मिला.....उनकी लेखनी कमाल कि है | गहरी मनिवैज्ञानिक पोस्ट होती हैं उनकी.....कई बार कुछ कहने के लिए शब्द ही नहीं मिलते उनकी पोस्ट पर....उनके द्वारा ब्लॉगजगत को दिए योगदानों कि कमी नहीं......हैट्स ऑफ उनको।


नम्बर 2 पर हैं -

ब्लॉग का नाम       -  डायरी के पन्नों से
लिंक                  - http://amrita-anita.blogspot.in
ब्लॉग लेखक         -  अनीता निहलानी

वैसे तो अनीता जी का एक ब्लॉग और भी बहुत सुन्दर है 'मन पाए विश्राम जहाँ' पर इस बार मैंने उनके ब्लॉग 'डायरी के पन्नों से' को लिया है.....गहन अध्यात्मिक अनुभव जो वो इस ब्लॉग पर बाँटती हैं वो बहुत ज्ञानमय और अमूल्य है.....उनसे जो कुछ भी सीखा है उसके लिए दिल से उनका शुक्रगुज़ार हूँ।

और नम्बर 1 पर हैं -

ब्लॉग का नाम       -  Amrita Tanmay 
लिंक                  -  http://amritatanmay.blogspot.in
ब्लॉग लेखक         -  अमृता तन्मय

हालाँकि पिछले साल अमृता जी ब्लॉगजगत में बहुत कम सक्रीय रही हैं पर इसके बावजूद उनके ब्लॉग की पोस्टों की गुणवत्ता में कोई फर्क नहीं आया......हिंदी के कुछ शब्द तो ऐसे होते हैं जो मैंने उनके ही ब्लॉग पर पढ़े हैं सिर्फ......कमाल के हिंदी ज्ञान के साथ साथ उनकी बेजोड़ कवितायेँ जो नूतन विषयों पर होती हैं.......हिंदी में इतना सुन्दर लिखने वाली कवियत्री अन्यत्र कहीं नहीं है। आज अमृता जी ब्लॉगजगत में किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं......हैट्स ऑफ अमृता जी को इतने सुन्दर लेखन के लिए। 
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इनके आलावा और भी बहुत अच्छे ब्लॉग रह गए है, जिन्हें सिर्फ टॉप 10 होने के कारण यहाँ शामिल करना संभव नहीं है | उन सब से माफ़ी चाहूँगा।

और अंत में एक बार फिर कहना चाहूँगा की ये लिस्ट सिर्फ मेरी व्यक्तिगत रूचि पर आधारित है, कृपया आप सबसे अनुरोध है इसे अन्यथा लें........ये सिर्फ मेरी एक कोशिश है जिसका पास-फेल आपने ही निकालना है आपकी प्रतिक्रिया अच्छी या बुरी जैसी भी हो, ज़रूर दें| आपकी अमूल्य राय की प्रतीक्षा में ।

अगस्त 04, 2012

कुदरत के नज़ारे

प्रिय ब्लॉगर साथियों,

आज आपके साथ अपने द्वारा लिए गए कुछ प्राकृतिक फोटो बाँट रहा हूँ जिसमे कुछ प्राकृतिक दृश्य हैं, कुछ फूल है, कुछ परिंदे और कुछ जानवर.......सभी फूलों के नाम मुझे पता नहीं हैं जो मुझे अच्छा लगा वो मैंने ले लिया....अगर आप में से किसी को पता हों तो ज़रूर बताये.........फोटो कैसे लगे ज़रूर बताएं और एक बात और क्या आगे भी इस ब्लॉग पर फोटो डालने चाहिए या नहीं  :-)

प्राकृतिक दृश्य 


दूर तक फैला रेगिस्तान, जैसलमेर 

रेगिस्तान में सूर्यास्त, जैसलमेर 

गंगा नदी सावन के मौसम में , हरिद्वार

ऊँचे पहाड़ से उदयपुर का दृश्य 

ऊँचे पहाड़ से दिखती छोटी सी सड़क, उदयपुर 

झील का घुमाव, उदयपुर 


झील में सूर्यास्त, उदयपुर 

फूलों के रंग 


मन को मोहते रंग ????????

संतरी रंग का गुलाब, रानी पद्मनी का महल, चित्तौडगढ़

सफ़ेद रंग का गुलाब, रानी पद्मनी का महल, चित्तौडगढ़

लाल रंग का गुलाब, रानी पद्मनी का महल, चित्तौडगढ़

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शायद कमल ?????

शायद कमल ?????

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परिंदे और जानवर 

ख़ुशी में झूमता रंगों को बिखेरता मोर, उदयपुर 

 पेड़ की छाँव में आराम करते लंगूर, मन्दौर (जोधपुर)

 सुकून से घास चरता हिरन, सिकंदरा (आगरा)

 माँ का जज्बा हर रूप में एक जैसा बारिश से बच्चे को बचाती माँ, हरिद्वार  

 कुदरत के अनोखे रंगों को समेटे तितली, उदयपुर 

 लुप्त हो चुकी प्रजाति 'गिद्ध' - अजायबघर उदयपुर 

 आराम करते हुए हिरन - अजायबघर, लखनऊ 

 सफ़ेद स्वच्छ सरस, दिल्ली 

पानी में मस्ती करती बत्तखें, दिल्ली 

मन मर्ज़ी करती मैना, दिल्ली 

और आखिर में फोटोग्राफर का भी एक :-)) 

जुलाई 23, 2012

मुर्दों का वतन


ये सोये हुए लोगों का देश है ये नींद आज की नहीं सदियों गहरी हैं ये बुद्ध जैसे लोगों के जगाये नहीं जागे.....ज़मीन पर रेंगने की आदत पड़ गयी है लोगों की ......रीड़ तो जैसे खत्म हो चुकी है.....यहाँ की जनगणना में मुर्दों की ही गिनती हो रही है बरसों से.....कहीं भी कुछ भी होता रहे तमाशा देखने में हम भारतीय सबसे आगे हैं तमाशा ख़त्म होते ही उस पर टीका-टिप्पणी करते हुए अपनी अपनी राह लगते हैं कभी सदियों में कोई जागने की कोशिश करता है तो वो दूसरे मुर्दों के द्वारा चुप कर या करा दिया जाता है......ये क्रम न जाने कब से चल रहा है और कब तक चलता रहेगा......बस हमे इंतज़ार है की कोई आएगा और सब कुछ ठीक हो जायेगा हम क्यों चिंता करें ? हमे तो सोने दो अपनी अपनी कब्रों में......क्योंकि हमारे बुज़ुर्ग कह गए हैं जगत माया है सब प्रभु की लीला है तो फिर क्या कर्म करना......जो हो रहा है उसे होने दें.....और खड़े देखते रहें और शुक्र मनाते रहे की हमारे साथ ऐसा नहीं हुआ.....जब तक हम खुद अपने पैरों पर खड़े नहीं होते लोगों के सामने मदद की भीख मांगना बंद नहीं करते.....कुछ नहीं बदलने वाला यहाँ।

एक फिल्म 'क्रांतिवीर' का एक दृश्य याद आता है जब नायक नाना पाटेकर से एक बच्चा अपनी माँ को बचाने की गुहार लगाता है तब वो कहता है की कब तक ऐसे ही लोगों की मदद माँगता फिरेगा आज कोई बचा लेगा फिर कौन आएगा हर बार बचाने ? ......तब बच्चा खुद एक पत्थर उठा कर आततायी को मरता है उस बच्चे की हिम्मत से उसकी माँ भी लाठी उठा लेती है और हालात का मुकाबला करती है ।

सिर्फ और सिर्फ यही एक ज़रिया है की हमे हर अन्याय के खिलाफ खुद उठाना होगा जब एक हिम्मत करेगा तो और भी जुड़ेंगे.....पर नहीं हमे तो जन्म से बताया गया है की यदा यदा ही धर्मस्य......तो हम तो इंतज़ार कर रहे है की कब भगवान स्वयं आयें और हमे हर अन्याय से बचा लें ।

अंत में बस यही जागो जागो और अपने मसीहा आप बनो -

" कुछ न कहने से भी छीन जाता है एजाज़-ए-सुखन
  ज़ुल्म सहने से भी ज़ालिम की मदद होती है ,

" बना लेता है मौज -ए-दिल से एक चमन अपना 
  वो पाबन्द-ए -कफस जो फितरतन आज़ाद होता है,
   यहाँ तो मर्ज़ी का अम्ल है खुद गिरफ़्तारी 
   जहाँ बाजू सिमटते है वही सय्याद होता है"

जून 16, 2012

शान-ए-लखनऊ


प्रिय ब्लॉगर साथियों,

आज की पोस्ट कुछ अलग सी है आज आपको अपने शहर लखनऊ के इमामबाड़े की सैर पर ले चलता हूँ जहाँ कुछ अपने द्वारा लिए गए फोटो और कुछ जानकारी भी आपसे शेयर करने कि कोशिश कि है उम्मीद है आपको पसंद आये । 
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रूमी दरवाज़ा, इमामबाड़े कि छत से लिया गया फोटो 


रूमी दरवाज़ा, लखनऊ 
रूमी दरवाज़ा लखनऊ के बड़े इमामबाड़े के पास बना हुआ है इसे लखनऊ का प्रवेश द्वार भी कहते है इसका निर्माण आसफउद्दौला ने सत्रहवीं शताब्दी में करवाया था....अपनी वास्तुकला में बेजोड़ है ये दरवाज़ा ।

इमामबाड़े का बहार से लिया गया फोटो 


बड़ा इमामबाड़ा, लखनऊ  
ये मुस्लिम धर्म के शिया समुदाय का एक धार्मिक स्थल है जिसमे मुहर्रम के महीने में ताजिये रखे जाते है इसमें जो खास बात है वो इसमें बना वो हॉल है जिसकी लम्बाई, ऊंचाई और चौड़ाई 50*16*15 मीटर है, जो बिना किसी पिलर या दीवार के सहारे बना है और जिसमे लोहे का इस्तेमाल नहीं हुआ है, यह विश्व के सबसे बड़े हॉलों में से है | इसका निर्माण सत्रहवीं शताब्दी में तत्कालीन अवध के नवाब आसिफ-उद-दौला ने करवाया था तब लखनऊ में अकाल पड़ा था, जिससे लोगों में भुखमरी फैली हुई थी.....उस वक़्त के अवध के लोगों की खासियत थी कि वो माँग कर नहीं खाते थे चाहें भूखे ही मर जाएँ । तब आसिफुदौल्ला ने इस इमामबाड़े का निर्माण करवाना शुरू किया ताकि लोगों को काम मिले इसका निर्माण तक़रीबन 10 सालों  तक चला । इसको रोज़ दिन में बनाया जाता था और रात में तोड़ दिया था ताकि लम्बे अरसे तक लोगों को रोज़गार मिलता रहे । आसिफ-उद-दौला के बारे में एक कहावत मशहूर है -

जिसको न दे मौला, उसको दे आसिफ-उद-दौला

इमामबाड़े कि छत से बाहर दरवाज़े का फोटो 

इमामबाड़े के हॉल में रखा एक ताज़िया 

इमामबाड़े के हॉल में रखा एक ताज़िया 

ताज़िया
मुहर्रम के महीने में हज़रत हुसैन के मकबरे के ताज़िए जुलूस में निकाले जाते हैं और जुलूस के अंत में लाकर इमामबाड़े में रख दिए जाते हैं जो कि अगले साल मुहर्रम के महीने तक वहीँ रहते हैं ।
 

भूल भुलैया का बाहरी फोटो 
भूल भुलैया, लखनऊ 
भूल भुलैया भारत के प्रसिद्द स्थलों में से एक है ये लखनऊ के बड़े इमामबाड़े के ऊपर की तीन मंजिलो में बनी है जिसमे बिना दरवाज़े की लगभग 489 गैलरियां है जो देखने में बिलकुल एक समान हैं,जिनमे से कई आगे जाकर बंद हो जाती हैं और कई उनके जैसी ही दूसरी गैलरी में मिल जाती हैं, कहा जाता है   की इसका इस्तेमाल दुश्मनों को भटकाने के लिए किया जाता था परन्तु ये बात तर्कसंगत नहीं लगती क्योंकि इमामबाड़ा एक धार्मिक स्थल है यहाँ दुश्मनों का कोई काम नहीं । वास्तव में इमामबाड़े के विशाल हॉल में कोई सपोर्ट नहीं है लेकिन यही गैलरियां छत के साथ सपोर्ट के रूप में प्रयोग  की गयी है.....वास्तुकला का एक बेहतरीन नमूना है ये भूल भुलैया.....बिना गाइड के इसमें एक बार जाने के बाद निकलना बहुत मुश्किल है खासकर तब जब आप पहली बार इसमें जा रहे हो ।

भूल भुलैया के अन्दर मैं  

भूल भुलैया के अन्दर मेरा भांजा सचिन 

तो साथियों कैसी लगी ये सैर और ये पोस्ट......बताइयेगा ज़रूर ।





अप्रैल 17, 2012

प्रश्न


प्रिय ब्लॉगर साथियों,

आज अब सबके लिए कुछ प्रश्न छोड़ रहा हूँ अपनी समझ और विवेक से उत्तर दे । ये सब कुछ आता गया मैं लिखता गया......कृपया कोई अन्यथा या निजी न ले मुझे मिलाकर :-)

क्यों हमें जीवन में कभी किसी से इतना प्रेम हो जाता हैं की जैसे अपनी जीवन की डोर उसके हाथ में थमा देते हैं, फिर उसके एक हल्का सा झटका देते ही हम भरभराकर ज़मीन पर औंधे मुंह गिरते है तो लगता है की जैसे सब कुछ बिखर गया और टूट गया......क्या इतना आसान होता है दुबारा से उठ कर खड़ा होना फिर उन्ही हाथों में जीवन की बागडोर सौंप देना या विकल्प है की अपने जीवन की डोर अपने ही हाथों में रखी जाये.....पर क्या इससे प्रेम में समर्पण की भावना आ पाती है ?

प्रेम क्या सिर्फ महसूस करने कि ही वस्तु है.....परन्तु एक आम इंसान क्या प्रेम के बदले में प्रेम नहीं चाहता......विश्वास के बदले में विश्वास नहीं चाहता ।
अगर ऐसा है तो क्या गलत है ? पर जब एक सिरे से विश्वास टूटता है तो बहुत तकलीफ होती है......और क्या टूटे हुए धागों को बिना गाँठ के जोड़ा जा सकता है ?

जीवन में बहुत कुछ ऐसा घट जाता है जिसकी हमने कभी कल्पना भी नहीं कि होती......पर जीवन तो उसी रफ़्तार से चलता जाता है पर कई बार सत्य को स्वीकार करना या उसे अंगीकार करना अत्यंत जटिल नहीं हो जाता है मानव मात्र के लिए.....कई बार ऐसा नहीं लगता कि सब मृगतृष्णा सा है फिर मन उस के लिए लालायित होता है जो परम है और कभी न मिटने वाला प्रेम दे सके......पर ये राह बहुत लम्बी और दुर्गम है इस पर चलने का ये खतरा भी है कि जो कुछ हमने रस्ते बनाये थे या माने थे वो सब गलत थे इसे भी स्वीकार करना पड़ता है फिर जब मन संसार से हटता है तो फिर संसार कि हर वस्तु से हटने लगता है.....इस जद्दोजहद में ही जीवन बीत जाना चाहिए क्या......क्यों एक आम इंसान एक फैसला करके भी उस पर दृण नहीं हो पाता है ? 

क्या ये सब मानवीय मन कि कमजोरियां है ?.....कुछ भावनाएं सीधे दिल से निकलती है क्या किसी के प्रति नजरिया बदलने से ही भावनाएं भी प्रभावित हो जाती है......और क्या भावनाओं को स्वयं पर या दुसरे पर आरोपित किया जा सकता है या एक बार भावनाओ को ठेस लगने पर वही भावनाएं फिर से आ सकती हैं ? 

आप अपनी प्रतिक्रिया अपने विवेक से दे सकते हैं कोई ज़रूरी नहीं कि प्रत्येक एक दूसरे से सहमत हो.....स्वयं कि सोच को पूरी ईमानदारी से दर्शायें यही उम्मीद है ।